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    शाहबाज सरकार के खिलाफ तहरीक-ए-तालिबान ने खोला मोर्चा, लड़ाकों को पाक पर हमले का आदेश

  • November 29, 2022

    इस्लामाबाद । प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने जून के महीने में पाकिस्तान सरकार (Government of Pakistan) के साथ हुए अनिश्चितकालीन संघर्ष विराम को सोमवार को खत्म कर दिया है. इतना ही नहीं, TTP ने अपने उग्रवादियों को पूरे पाकिस्तान (Pakistan) में हमले (attack) करने का आदेश दिया है.

    पाकिस्तान तालिबान ने कहा कि खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू और लक्की मरवत क्षेत्रों में सैन्य संगठनों द्वारा लगातार अटैक किए जा रहे हैं. इसे देखते हुए सरकार के साथ युद्धविराम को समाप्त करने का फैसला लिया गया है.

    आतंकवादी समूह टीटीपी ने अपने लड़ाकों से कहा है कि विभिन्न क्षेत्रों में मुजाहिदीन (आतंकवादियों) के खिलाफ सैन्य अभियान चल रहे हैं. लिहाजा अब यह जरूरी हो गया है कि आप पूरे देश में जहां कहीं भी हमले कर सकते हैं, करें.

    TTP को पाकिस्तान तालिबान के रूप में भी जाना जाता है. टीटीपी को 2007 में आतंकवादी संगठन के रूप में शामिल किया गया था. इसका उद्देश्य पूरे पाकिस्तान में इस्लाम के अपने कट्टरपंथ को लागू करना है.


    टीटीपी ने कहा- संघर्ष विराम के उल्लंघन की चेतावनी दी
    आतंकी संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उनकी ओर से कई बार संघर्ष विराम के उल्लंघन के बारे में चेतावनी दी गई थी, लेकिन इस ओऱ कोई ध्यान नहीं दिया गया. हम लंबे समय से धैर्य रख रहे थे. हम चाहते थे कि युद्ध विराम का उल्लंघन हमारी ओर से न हो. टीटीपी ने कहा कि सेना और खुफिया एजेंसियां ​​​नहीं रुकीं. उन्होंने लगातार हमलों को जारी रखा. अब हमारी ओर से भी पूरे पाकिस्तानभर में जवाबी हमले किए जाएंगे.

    सरकार ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
    टीटीपी के इस एक्शन के बाद सरकार और खुफिया एजेंसियों की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. दरअसल, TTP ने जून में सरकार के साथ युद्धविराम की घोषणा की थी, लेकिन सुरक्षाबलों पर भी हमले किए जा रहे थे. हालांकि इन हमलों की टीटीपी ने कभी भी जिम्मेदारी नहीं ली. इसके बजाय उन हमलों के लिए किरच समूहों को दोषी ठहराया था.

    सरकार से बातचीत का कोई हल नहीं निकला
    पाकिस्तान ने पिछले साल अंतरिम अफगान सरकार की मदद से टीटीपी के साथ बातचीत शुरू की थी. लेकिन तब हल नहीं निकला था. इसके बाद दोनों पक्षों ने इस साल मई में फिर से वार्ता शुरू की. इसके बाद जून में युद्ध विराम हुआ. हालांकि इसके भी दूरगामी परिणाम नहीं आए, क्योंकि सरकार ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कबायली क्षेत्र के विलय को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

    हालांकि टीटीपी का यह फैसला नए सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के सामने बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि वह मंगलवार को रावलपिंडी में एक समारोह में अपना पद संभालेंगे.

    आंतरिक मंत्रालय ने जारी किया अलर्ट
    अक्टूबर में आंतरिक मंत्रालय ने टीटीपी के साथ शांति वार्ता ठप होने के बाद अधिकारियों को राष्ट्रव्यापी अलर्ट जारी करने के आदेश दिए थे, साथ ही कहा था कि टीटीपी से अत्यधिक सतर्कता रखनी होगी. मंत्रालय ने टीटीपी के उप-समूहों के इस्लामिक स्टेट में शामिल होने या आतंकी हमलों को फिर से शुरू करने की आशंका भी जताई है. वहीं, टीटीपी ने पाकिस्तानी सरकार पर अपनी मुख्य मांग को पूरा न करने का आरोप लगाया है.

    बिलावल भुट्टो ने जताई चिंता
    विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने इस महीने की शुरुआत में सरकार से उग्रवादी संगठन से निपटने के लिए अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था कि आतंरिक सुरक्षा और आतंकवाद के संबंध में हमने जो निर्णय लिए हैं, उनकी समीक्षा करने का समय आ गया है. बिलावल ने कहा था कि यह स्वीकार करने में कुछ भी गलत नहीं है कि हम कुछ चीजों के बारे में गलत थे और कुछ अन्य चीजों के बारे में सही थे और अपने फैसलों के बारे में फिर से विचार करना होगा.

    टीटीपी ने ही मलाला को मारी थी गोली
    2012 में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर टीटीपी ने हमला किया था. उन्हें गोली लगी थी. उन्हें सैन्य अस्पताल पेशावर में भर्ती कराया गया और फिर आगे के इलाज के लिए लंदन ले जाया गया था. टीटीपी ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि यूसुफजई एक पश्चिमी सोच वाली लड़की थी.

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