नई दिल्ली । गुजरात विधानसभा चुनावों (gujarat assembly election) में इसबार अल्पसंख्यक वोट (minority vote) बिखरा-बिखरा नजर आ रहा है। यह कांग्रेस (Congress) के लिए धड़कनें बढ़ा सकती हैं। बीते विधानसभा चुनावों के ट्रेंड पर नजर डालें तो गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस की सीधी लड़ाई होती थी, लेकिन इस चुनाव में तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है। यहां मुस्लिम वोट बैंक पर कांग्रेस का एकक्षत्र राज रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मुस्लिमों (Muslims) के पास विकल्प की कमी रही है। इस चुनाव में तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है।
आम आदमी पार्टी (AAP) मजबूती से गुजरात का चुनाव लड़ रही है, वहीं असदुद्दी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
यूं तो गुजरात में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी सिर्फ 14 उम्मीदवार ही मैदान में उतार रही है, लेकिन अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों को लेकर वह मुखर होकर बोल रहे हैं। वह बीजेपी को खुलेआम मुसलमान विरोधी बताकर अल्पसंख्यकों को साधने की कवायद कर रहे हैं। हाल ही में जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 के दंगे का जिक्र किया तो, ओवैसी ने ही उनपर खुलकर पलटवार किया।
अमित शाह ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘2002 में नरेंद्र मोदी के समय इन्होंने हिंसा करने की हिम्मत की थी। इनको ऐसा पाठ पढ़ाया कि 22 साल हो गए, लेकिन कुछ करने की इसकी हिम्मत नहीं हुई। दंगा करने वाले गुजरात से बाहर चले गए। भाजपा ने गुजरात में शांति स्थापित करने का काम किया। ऐसा काम किया कि कहीं कर्फ्यू नहीं लगाना पड़ा।’
अमित शाह के इस बयान पर यूं तो कांग्रेस की प्रतिक्रिया सबसे पहले आनी चाहिए थी, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी ने इसमें देरी कर दी। इस मौके को असदुद्दीन औवैसी ने बैठे-बैठे लपक लिया। उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए उन्हें इसका जवाब दिया। औवैसी ने कहा, ‘मैं भारत के गृह मंत्री से कहना चाहूंगा कि आपने 2002 में जो सबक सिखाया वह यह था कि बिल्किस का रेप करने वालों को आप छोड़ेंगे। पूरे मुल्क में आपने हमें बदनाम करने का काम किया।’
ओवैसी की एंट्री से आसान होगी बीजेपी की राह?
ओवैसी को विरोधी दल अक्सर बीजेपी की बी टीम करार देते हैं। हाल ही में बिहार के गोपालगंज उपचुनाव के बाद भी यह आरोप लगे थे। 2017 के गोधरा विधानसभा सीट की बात करें तो बीजेपी ने इस सीट से कांटे की टक्कर में कांग्रेस उम्मीदवार को सिर्फ 293 मतों से हराया था। इस विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने भी इस सीट से अपने कैंडिडेट उतारे हैं। ऐसे में वोटों का बिखराव होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलता दिख रहा है।
गुजरात में मुसलमानों की 9 प्रतिशत आबादी है। इसके बावजूद बीजेपी ने एक भी टिकट मुस्लिम को नहीं दिया है। वहीं, कांग्रेस ने 6 और आप ने 2 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। वहीं, औवैसी की पार्टी के लगभग सभी उम्मीदवार मुस्लिम ही हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की धड़कने बढ़ गई हैं। अल्पसंख्यकों के वोट को लेकर आश्वस्त रखने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी को केजरीवाली और ओवैसी जैसे दो-दो ने प्लेयर के मैदान में उतरने से वोटों के बिखराव का डर सता रहा है।
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