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खाली खजाना भरने कंपनियों के दरवाजे पर पहुंच रहे अधिकारी

November 21, 2022

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट पर देर से जागा विभाग, मनुहार से नहीं मान रही कंपनियां

भोपाल। मध्य प्रदेश का खाली खजाना भरने के लिए वाणिज्यिककर विभाग यानी स्टेट जीएसटी विभाग जी तोड़ कोशिश में लगा हुआ है। चार दिन से अधिकारी कंपनियों के दरवाजे पर पहुंचकर क्रेडिट क्लेम करने और फिर रिवर्स करने की गुहार लगा रहे हैं। हालांकि, ज्यादातर कंपनियां और फर्म विभाग की मनुहार से पिघलती नहीं दिख रही हैं। अकाउंटिंग और कागजी हिसाब में उलझने के डर से ज्यादातर कंपनियां पुराना आइटीसी क्लेम और फिर रिवर्स करने की प्रक्रिया करने से इनकार कर रही हैं। करदाता शिकायत कर रहे हैं कि विभाग आखिरी वक्त पर जागा तो ऐसे में वे अकाउंटिंग की परेशानियों में नहीं उलझना चाहते।
स्टेट जीएसटी का अनुमान है कि राज्य के लगभग 400 करदाता यदि अपने जीएसटी रिटर्न फार्म के कुछ कालम की पूर्ति कर दें तो करीब 500 करोड़ रुपये प्रदेश को मिल सकते हैं। विभाग ने ऐसे करदाता चिन्हित किए हैं जिनके खातों में भारी-भरकम अनक्लेम्ड टैक्स क्रेडिट जमा है। जीएसटी के अधिकारी पहले करदाताओं को फोन कर रहे थे। अब कंपनियों के दरवाजे पर पहुंचकर उनसे कहा जा रहा है कि वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए अपने रिटर्न फार्म (3-बी) के कालम में पूरा इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर लें। उनके क्रेडिट दिखाने वाले रिटर्न फार्म 2-बी में दिखाने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट पहले क्लेम कर लें और फिर से वापस यानी रिवर्स कर दें। 30 नवंबर इस पूरी प्रक्रिया के लिए आखिरी तारीख है।


फिर से प्रक्रिया नहीं करेंगे
चार दिनों में जीएसटी के अधिकारियों की टीमें शहर के निजी बैंकों, अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटर समेत बड़े डीलरों और कुछ सरकारी संस्थानों के दरवाजे पर पहुंच चुकी है। कंपनियों के अकाउंटिंग स्टाफ ने अधिकारियों से साफ कह दिया है कि उनके 3-बी फार्म की प्रक्रिया पूरी हो गई है। ऐसे में वे अब फिर से प्रक्रिया करने में अपना समय और ऊर्जा नहीं गंवाना चाहते। ज्यादातर कंपनियों के अकाउंटिंग दफ्तर और सीए इंदौर से बाहर बैठते हैं। उन्होंने भी सिर्फ प्रदेश के अधिकारियों के कहने पर प्रक्रिया फिर से करने से इनकार कर दिया है।

बदलाव करना संभव नहीं
कई कंपनियां कह रही हैं कि केंद्र की ओर से उन्हें ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला है। अभी ऐनवक्त पर पुरानी क्रेडिट को क्लेम करने और फिर रिवर्स करने के लिए न केवल उनके पास समय कम है, बल्कि ऐसा करने पर आगे जीएसटी में मिसमैच की परेशानियां भी खड़ी हो जाएंगी। साथ ही तमाम कंपनियों ने आयकर आडिट की प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली है। ऐसे में उनके लिए बुक्स में फिर से बदलाव करना संभव नहीं है। आगे उन्हें आयकर के नोटिस का सामना भी करना पड़ सकता है।

कर सलाहकार भी मनाने में लगे
जुलाई से राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति केंद्र ने बंद कर दी। क्षतिपूर्ति बंद होने के बाद मप्र को करीब 10 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान होने का आकलन किया गया। इस घाटे की भरपाई के लिए राज्य की जीएसटी आइटीसी रिवर्सल की ताजा प्रक्रिया करवाने में लगा है। दरअसल, इससे सेंट्रल पुल में जाने वाला प्रदेश के हिस्से का राजस्व फिर से मप्र की जेब में आ सकता है। हालांकि, स्टेट जीएसटी के इस बिंदु पर देर से जागने पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। प्रदेश के हित की बात कहकर तमाम कर सलाहकार और संगठन भी खुद से जुड़े करदाताओं को मनाने में जुटे हैं कि वे विभाग की बात मान लें। हालांकि, इसके बाद भी ज्यादातर करदाता मानते हुए नहीं दिख रहे।

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