नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गुजरात में मोरबी पुल ढहने की घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग वाली याचिका (petition) पर सोमवार 21 नवंबर यानि आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की पीठ अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका में कहा गया है कि यह हादसा अधिकारियों की लापरवाही और घोर विफलता (negligence and gross failure) को दर्शाता है.
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने एक नवंबर को इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था. इस पर शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस मामले पर जल्द ही सुनवाई करेगी. गुजरात के मोरबी शहर में 30 अक्टूबर को मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल का केबल पुल टूटने की घटना में महिलाओं और बच्चों समेत कुल 134 व्यक्तियों की मौत हो गई थी.
क्या कहा गया याचिका में?
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कहा कि पिछले एक दशक से हमारे देश में कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुप्रबंधन, ड्यूटी में चूक और रखरखाव की लापरवाही के कारण भारी जनहानि के मामले सामने आए हैं, जिन्हें टाला जा सकता था.
नौ लोगों को किया था गिरफ्तार
गुजरात के मोरबी (Morbi of Gujarat) में हुए पुल हादसे के बाद पीएम मोदी ने भी मंगलवार (1 अक्टूबर) को घटनास्थल का दौरा किया था. साथ ही प्रधानमंत्री (Prime minister) ने हादसे में घायल हुए लोगों से मुलाकात की थी और मृतकों के परिजनों से भी मिले थे. मोरबी पुल हादसे के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर नौ लोगों को गिरफ्तार भी किया था. इस हादसे को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार (State government) पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे.
कई खामियां आई थीं सामने
इस हादसे की जांच के दौरान पुलिस ने कहा था कि जिस कंपनी के पास पुल की मरम्मत का काम था उसे काम पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया था. हालांकि कंपनी ने पुल को समय से पहले ही खोल दिया था. साथ ही मोरबी में पुल (Morbi Bridge) को फिर से खोलने से पहले सरकार की मंजूरी नहीं ली गई थी.
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