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    अमेरिका ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को रियासत देने की तुलना PM मोदी से की

  • November 20, 2022

    नई दिल्ली। अमेरिका (America) ने सऊदी अरब (Saudi Arab) के पत्रकार जमाल खशोज्जी के मर्डर केस में घिरे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Saudi Arabia’s Crown Prince Mohammed bin Salman-MBS) को रियायत देने के फैसले का बचाव किया है। बाइडन प्रशासन (Biden Administration) ने फैसला किया है कि क्राउन प्रिंस अमेरिका आएंगे तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं करना होगा।

    क्राउन प्रिंस को मिली इस छूट की तुलना अमेरिका ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) से की है. मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब के प्रधानमंत्री भी हैं। अमेरिका ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसी नेता को इस तरह की रियायत दी गई है। इससे पहले नरेंद्र मोदी को भी इस तरह की छूट दी जा चुकी है।


    क्या है पूरा मामला
    दरअसल व्हाइट हाउस ने पत्रकार जमाल खशोज्जी की हत्या के मामले में सऊदी प्रिंस को मुकदमे से छूट दे दी है। सऊदी क्राउन प्रिंस पर इस केस में अमेरिका में मुकदमा नहीं चलेगा।

    अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने शुक्रवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अमेरिका की तरफ से उसी तरह की रियायत दी गई थी जो हाल ही में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दी गई है और ये पहली बार नहीं है.

    उन्होंने पत्रकारों से कहा, ”यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने ऐसा किया है. ऐसा काफी समय से हो रहा है. इससे पहले कई देशों के प्रमुखों को इस तरह की छूट मिल चुकी है.” अमेरिका ने 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री चुने जाने तक अमेरिका आने पर प्रतिबंध जारी रखा, लेकिन पीएम बनने पर अमेरिका मोदी का बांहें फैलाकर स्वागत किया था।

    अमेरिका ने कहा कि सऊदी क्राउन प्रिंस को हाल ही में प्रधानमंत्री बनाया गया है। इसे देखते हुए उनके ऊपर अमेरिका में मुकदमा ना चलाने और अमेरिका की यात्रा करने पर छूट दी गई है. इससे पहले कई राष्ट्राध्यक्षों को ऐसी छूट मिल चुकी है।

    अमेरिका ने इन देशों के प्रमुखों के नाम भी गिनाए
    वेदांत पटेल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई देशों के प्रधानमंत्रियों का उदाहरण देते हुए कहा, ”1993 में हैती के राष्ट्रपति जिएन एरिस्टाइड, 2001 में जिम्बॉब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे, 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2018 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के राष्ट्रपति लॉरेंट कबीला को भी अमेरिका की तरफ से इस तरह की छूट दी गई थी. ये नया नहीं है और ऐसा पहले से होता आ रहा है।”

    अमेरिकी सरकार का एमबीएस का बचाव करने के लिए मोदी का नाम लेने पर आलोचनाएं भी शुरू हो गई हैं. हालांकि भारत की तरफ से इस मामले पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

    प्रेस ब्रीफिंग में यह पूछे जाने पर कि जिन नेताओं को अमेरिका ने रियायत दी थी, उनमें किसी पर एक पत्रकार और वो भी एक अमेरिकी नागरिक की हत्या का आरोप नहीं था, इस पर पटेल ने कहा कि MBS पर हमारी सरकार ने अपना रुख केस की स्थिति के हिसाब से नहीं बल्कि अमेरिका के कानून के आधार पर तय किया है।

    अमेरिका में क्यों शुरू हुआ बवाल
    जो बाइडन प्रशासन ने गुरुवार को खशोज्जी की मंगेतर की अपील के जवाब में ये दलील दी है, जिसमें अमेरिका में MBS को रियायत देने पर सवाल किए गए थे। अमेरिका ने इस पर कहा कि एमबीएस सऊदी अरब के प्रधानमंत्री हैं. सऊदी के क्राउन प्रिंस को रियायत देने पर अमेरिका की आलोचना होने लगी तो बाइडन प्रशासन ने पूर्व के फैसलों का हवाला दिया और इसका बचाव किया।

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