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    MP हाईकोर्ट ने मांगी नर्मदा नदी के प्रतिबंधित क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों कि रिपोर्ट

  • November 16, 2022

    जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में हुए अवैध निर्माणों (illegal constructions) को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने काफी संजीदगी से लिया। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ (Chief Justice Ravi Vijay Malimath) व जस्टिस विशाल मिश्रा (Justice Vishal Mishra) की युगलपीठ ने नर्मदा के तीन सौ मीटर में निर्माण कार्य पर पूर्व में लगाई रोक हटाने से इनकार कर दिया साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों को चिन्हित कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किए हैं। युगलपीठ (doubles bench) ने सरकार को निर्देशित किया है कि प्रदेश के जिन जिलों से नर्मदा नदी प्रवाहित होती है, उनकी नदी संबंधी गाइड लाइन प्रस्तुत करें। याचिका पर अगली सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की गई है।

    गौरतलब है कि दयोदय सेवा केंद्र द्वारा नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में अवैध रूप से निर्माण कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए नर्मदा मिशन की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। वहीं पूर्व मंत्री व भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे द्वारा डिंडौरी में बिना अनुमति नर्मदा नदी के लगभग पचास मीटर के दायरे में बहुमंजिला मकान बनाए जाने को भी चुनौती दी गई थी। इसके अलावा एक अवमानना याचिका सहित तीन अन्य संबंधित मामले को लेकर याचिकाएं दायर की गई थीं।


    मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि जबलपुर में साल 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में तिलवाराघाट, ग्वारीघाट, जिलहेरीघाट, रमनगरा, गोपालपुर, दलपतपुर, भेड़ाघाट में कुल 75 अतिक्रमण पाए गए हैं। जिसमें से 41 निजी भूमि, 31 शासकीय भूमि तथा तीन आबादी भूमि में पाए गए हैं। हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में हुए निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे।

    युगलपीठ ने अवैध निर्माण के हटाने की वीडियोग्राफी करने के आदेश जारी करते हुए कार्रवाई के लिए अधिवक्ता मनोज शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। पूर्व में हुई सुनवाई दौरान कोर्ट कमिश्नर ने न्यायालय को बताया कि व्यक्तिगत सर्वे कर तैयार की गई रिपोर्ट हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करा दी गई है। जिसके बाद युगलपीठ ने सभी पक्षकारों को उसकी कॉपी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि नदी के अधिकतम जल भराव क्षेत्र से तीन सौ मीटर दूरी निर्धारित है।

    सरकार की ओर से टाउन एंड कंट्री के नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए कहा गया कि रिवर बेल्ट से तीन सौ मीटर निर्धारित है। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश जवाब की प्रति पक्षकारों को प्रदान करने के निर्देश जारी किए थे। मंगलवार को याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सौरभ कुमार तिवारी तथा अधिवक्ता काशी पटैल ने पैरवी है।

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