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    G20 Summit : रूस से बिना शर्त युद्ध खत्म करने की मांग कर रहा अमेरिका, द्विपक्षीय बैठकें आज से

  • November 16, 2022

    नुसा दुआ । दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (economies) के नेता यूक्रेन (ukraine) पर हमले के लिए रूस (Russia) को जिम्मेदार ठहराने पर एकमत नहीं हो पाए। हालांकि, जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) में मंगलवार को ज्यादातर देशों ने ऊर्जा और खाद्य संकट (energy and food crisis) पर चिंता जताते हुए युद्ध को खत्म करने की अपील की है। वहीं, अमेरिका (America) के नेतृत्व में पश्चिमी देश साझा घोषणापत्र के जरिये रूस से बिना शर्त युद्ध खत्म करने की मांग करने पर अड़े हैं।

    बाली प्रांत में हो रहे शिखर सम्मेलन में इंडोनेशिया के लिए सभी देशों को संयुक्त वक्तव्य के लिए राजी करना बड़ी चुनौती बन गया है। बुधवार को जारी होने वाले साझे घोषणापत्र का मसौदा मंगलवार को सार्वजनिक हुआ। इसमें यूक्रेन पर हमले की कठोरतम शब्दों में भर्त्सना करते हुए रूस से तुरंत बिना शर्त यूक्रेन छोड़ने की मांग की गई है, लेकिन साथ ही कहा कि जी-20 सुरक्षा मुद्दों को हल करने का उचित मंच नहीं।

    एक और शीत युद्ध से बचें
    इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा कि युद्ध की वजह से दुनिया में ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चुनौतियां पैदा हुई हैं। इस वक्त दुनिया को एक और शीत युद्ध में धकेलने से बचना होगा।


    लावरोव : पश्चिमी देशों का विफल प्रयास
    रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देशों ने साझा घोषणापत्र के जरिये रूस की निंदा के असफल प्रयास किए हैं। बुधवार को जारी होने वाले अंतिम घोषणापत्र के लिए रूस ने वैकल्पिक दृष्टिकोण पेश किया है।

    भारत-चीन रूस पर दबाव बनाएं
    यूरोपीय संघ के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने भारत-चीन से अपील की कि वे रूस पर युद्ध खत्म करने के लिए दबाव बनाएं। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध स्वीकार्य नहीं है। रूस की सामूहिक निंदा पर सभी देश सहमत होते दिख रहे हैं, जो उत्साहजनक संकेत है।

    बाइडन-जेलेंस्की की अपील, रूस का बहिष्कार करें
    सम्मेलन से इतर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने जी-20 देशों पर रूस के बहिष्कार का दबाव बनाया। दोनों ने कहा कि जी-20 रूस का कूटनीतिक और आर्थिक बहिष्कार करे। वहीं, जेलेंस्की ने कहा, अगर रूस कहता है कि वह युद्ध खत्म करना चाहता है, तो यह बातों से नहीं बल्कि युद्ध के मैदान से पीछे हटकर साबित करे।

    साझा घोषणापत्र के मसौदे को फिलहाल किसी देश ने स्वीकार नहीं किया है…सभी देशों की सहमति के बिना साझा घोषणापत्र जारी नहीं हो सकता। लिहाजा, जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक की तरह इस बार भी संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं होने की संभावना है।

    जिनपिंग : रूस पर एकतरफा प्रतिबंध अनुचित
    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस से कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी अस्वीकार्य है। वहीं, अमेरिका और पश्चिमी देशों से कहा कि रूस पर लगाए गए एकतरफा प्रतिबंध अनुचित हैं।

    हर वैश्विक मुद्दे पर भारत के साथ : अमेरिका
    अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जेड तरार ने कहा कि वैश्विक मुद्दों पर भारत और अमेरिका हमेशा साथ हैं। राष्ट्रपति बाइडन और पीएम मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है और यह स्पष्ट दिखता है।

    हमें यूक्रेन युद्ध रोकने का रास्ता खोजना होगा, मोदी-जिनपिंग की हुई मुलाकात
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा कि हमें यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए रास्ता खोजना ही होगा। पीएम ने कहा, पिछली शताब्दी में, दूसरे विश्व युद्ध ने दुनिया में कहर ढाया था। उस समय के नेताओं ने शांति की राह पकड़ने के लिए गंभीर प्रयास किए। अब हमारी बारी है। प्रधानमंत्री ने रूस से रियायती तेल और गैस की आपूर्ति पर पश्चिमी देशों की ओर से किसी भी तरह की पाबंदी का भी विरोध किया।

    प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को इंडोनेशिया के बाली प्रांत में हो रहे शिखर सम्मेलन में कहा, जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध व उससे जुड़ी घटनाओं ने वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। लोगों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हमें स्वीकार करना होगा कि इन मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं विफल रही हैं। इन संस्थाओं में उचित सुधार करने में हम भी नाकाम रहे हैं। इसलिए आज दुनिया को जी-20 से ज्यादा अपेक्षाएं हैं। इससे जी-20 की प्रासंगिकता बढ़ गई है।

    शांति के लिए दिखाएं सामूहिक संकल्प : पीएम मोदी बोले, मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन में संघर्ष-विराम और कूटनीति की राह पर लौटने का रास्ता तलाशना होगा। कोविड के बाद की अवधि के लिए नई विश्व व्यवस्था बनाने का दायित्व हमारे कंधों पर है। समय की मांग है कि हम विश्व में शांति, सौहार्द और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाएं।

    भारत की ऊर्जा सुरक्षा वैश्विक जरूरत

    रूस से रियायती तेल खरीद पर आलोचना का जवाब
    रूस से रियायती तेल व गैस की खरीद को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना के बीच पीएम मोदी ने कहा, भारत की ऊर्जा सुरक्षा विश्व के विकास के लिए जरूरी है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हमें ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगानी चाहिए। ऊर्जा बाजार में स्थिरता भी होनी चाहिए।

    प्रधानमंत्री ने यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में कही। इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का प्रतिनिधित्व कर रहे रक्षा मंत्री सर्गेई लावरोव भी मौजूद थे।

    बुद्ध-गांधी की धरती से देंगे शांति का संदेश मुझे विश्वास है कि अगले साल जब जी-20 की बैठक बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि पर होगी, तो हम सभी एकमत होकर दुनिया को शांति का एक मजबूत संदेश देंगे।
    -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

    आज का खाद संकट, कल का खाद्य संकट

    आपूर्ति शृंखला की चिंता…
    पीएम मोदी ने खाद्य संकट पर दुनिया को आगाह किया। कहा, आज का खाद संकट, कल के खाद्य संकट में तब्दील हो सकता है, इसलिए इसका समाधान खोजना होगा। उन्होंने खाद व अनाज की आपूर्ति शृंखला स्थिर व सुनिश्चित रखने के लिए साझा समझौतों पर जोर दिया।

    प्रधानमंत्री ने वैश्विक महामारी कोविड-19 में देश के 1.3 अरब नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत के प्रयासों को भी रेखांकित किया।

    मोटे अनाज भुखमरी की समस्या का समाधान
    मोदी ने कहा कि भारत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है। टिकाऊ खाद्य सुरक्षा के लिए बाजरे जैसे पौष्टिक व पारंपरिक मोटे अनाज को फिर से लोकप्रिय बनाने की कोशिश है।

    मोदी ने कहा, मोटे अनाज वैश्विक कुपोषण व भुखमरी की समस्या का समाधान कर सकते हैं। हमें अगले वर्ष अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाना चाहिए।

    द्विपक्षीय वार्ता की जगी उम्मीद
    पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच जी-20 सम्मेलन में मुलाकात पर लगातार उत्सुकता बनी हुई थी। सम्मेलन के दौरान तो दोनों नेता नहीं मिले, पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के विश्व नेताओं के सम्मान में आयोजित रात्रि भोज में दोनों में बिना पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के मुलाकात हुई। दोनों ने हाथ भी मिलाया।

    सितंबर में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी दोनों एक-दूसरे के सामने आए थे, लेकिन कोई बात नहीं हुई थी।
    अब दोनों नेताओं में फिर से द्विपक्षीय वार्ता की उम्मीद बन गई है। नवंबर, 2019 के बाद से द्विपक्षीय बात नहीं हुई है।

    भारत-अमेरिका सहयोग से मोदी-बाइडन संतुष्ट
    जी-20 से इतर द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सामरिक भागीदारी की भी समीक्षा की। दोनों ने आपसी सहयोग पर संतोष जताया।

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