नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेबरेयेसस ने ‘हेल्थ फॉर ऑल’ सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक पारंपरिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना में समर्थन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है. जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पीएम मोदी और डब्ल्यूएचओ प्रमुख इंडोनेशिया के बाली में हैं. सम्मेलन में WHO प्रमुख ने महामारी और स्वास्थ्य संकट के बारे में भी बात की. इस महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया.
पीएम मोदी के साथ फोटो ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि ग्लोबल ट्रेडिशनल हेल्थ सेंटर की मेजबानी और निर्माण के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ आपके सहयोग के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद. ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ के लिए एक साथ हैं. इस साल की शुरुआत में WHO और भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
इस साल जामनगर में स्वास्थ्य केंद्र की आधारशिला रखी
गुजरात के जामनगर शहर में इस साल अप्रैल में प्रधानमंत्री मोदी डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक घेबरेयेसस और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक स्वास्थ्य केंद्र की आधारशिला रखी थी. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत से 25 करोड़ अमरीकी डॉलर के निवेश द्वारा समर्थित केंद्र का उद्देश्य लोगों और ग्रह के स्वास्थ्य में सुधार के लिए आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनिया भर से पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता का दोहन करना है.
“Even in #G20 countries, the cheapest food is often the least healthy, fuelling the growing epidemics of obesity, diabetes and cardiovascular disease, with huge costs to health systems and economies”-@DrTedros
— World Health Organization (WHO) (@WHO) November 15, 2022
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया की लगभग 80 प्रतिशत आबादी पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है. आज तक, डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देशों में से 170 ने पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग की सूचना दी है, और उनकी सरकारों ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों पर विश्वसनीय साक्ष्य और डेटा का एक निकाय बनाने में वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के समर्थन की बात कही है.
ऊर्जा सुरक्षा संकट की कीमत मानव स्वास्थ्य को चुकानी पड़ी: WHO चीफ
जी20 समिट में घेबरेयेसस ने कहा कि भोजन और ऊर्जा मानव जीवन और मानव स्वास्थ्य के लिए मूलभूत हैं. दोनों में से किसी एक की कमी या उनके अधिक उपभोग के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं. खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा संकट की सबसे बड़ी कीमत मानव स्वास्थ्य को चुकानी पड़ी है.
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