img-fluid

Air Pollution: वायु प्रदूषण की वजह से मौत के मुहाने पर करोड़ों जान

November 10, 2022

नई दिल्ली: भारत में तीस साल के आसपास की उम्र में लंग्स कैंसर के मरीजों की तादाद काफी ज्यादा बढ़ गई है. डॉक्टरों के मुताबिक पिछले कुछ सालों में ये संख्या तेजी से बढ़ी हैं जो पहले साठ सालों की उम्र में देखी जाती थी. ज़ाहिर है वायु प्रदूषण को लेकर बढ़ने वाली बीमारियों में ब्रोंकाइटिस,सीओपीडी और लंग्स कैंसर ऐसी बीमारी है जो चिकित्सकों को हैरान करने लगी है. ऐसे में देश में गंभीर प्रयासों को लेकर चिकित्सक आगाह करने लगे हैं और ताजे स्टडी में नॉन स्मोकर्स की जान भी खतरे में बताई जा रही है.

धूम्रपान नहीं करने वाले हो रहे हैं कैंसर जैसी बीमारी के शिकार
बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह सेलंग्स कैंसर जैसी खतरनाक डिजीज गंभीर रूप सेपैर पसार रही है. ये बीमारी उन लोगों को भी चपेट में ले रही है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है. वायु प्रदूषण को लेकर एम्स नई दिल्ली में हुई एक स्टडी हैरान करने वाली है. एम्स की स्टडी में बताया गया है कि लंग्स कैंसर से पीड़ित 20 फीसदी मरीजों ने कभी भी स्मोकिंग नहीं की थी लेकिन उन्हें स्मॉल सेल लंग कैंसर का सामना करना पड़ रहा है.

एम्स की रिसर्च में 3 सौ 61 उन रोगियों को शामिल किया गया था जो अस्पताल के पल्मोनरी विभाग में पिछले 12 सालों से इलाज करा रहे थे. ये सभी स्मॉल सेल लंग कैंसर से पीड़ित पाए गए. स्टडी में सामने आया कि 80 फीसदी मरीज धूम्रपान के शिकार थे. इनमें लगभग 65 प्रतिशत अधिक धूम्रपान की लत के आदी थे लेकिन 20 फीसदी लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया था.

एम्स के पल्मोनरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ अनंत मोहन और एम्स के प्रोफेसर और पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के नेतृत्व में इस रिसर्च को किया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि नॉन स्मोकर्स में कैंसर के बिलकुल सटीक कारणों का पता लगाना एक मुश्किल काम है, लेकिन इस बात के प्रमाण मिले हैं कि प्रदूषित हवा में लंबे समय तक रहने से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.

वायु प्रदूषण कैंसर की बड़ी वजह
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कैंसर की वजह प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 के कण हैं, जो सांस के जरिए लंग्स में पहुंचने के बाद कैंसर का कारक बन रहे हैं. कैंसर विशेषज्ञ डॉ अनुराग कुमार भी मानते हैं कि वायु प्रदूषण कैंसर का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है. डॉक्टर अनुराग कुमारके मुताबिक कई ऐसे केसेज भी सामने आए हैं जिन्हें कभी लंग्स से संबंधित कोई बीमारी पहले नहीं थी. लेकिन अब उनमें ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी की समस्या देखने को मिल रही है. इतना ही नहीं टीबी मरीजों की स्थितियां वायु प्रदूषण की वजह से और भी बिगड़ रही है जबकि वायु प्रदूषण से इम्यूनिटी पर खराब प्रभाव पड़ने से कई नई बीमारियां जन्म ले रही हैं.

आईसीएमआर नए वायु प्रदूषण को लेकर एक विस्तृत अध्ययन साल 2019 में भी किया था. रिपोर्ट में वायु प्रदूषण से साल 2019 में भारत में 16.7 लाख लोगों की मौत का जिक्र था. इतना ही नहीं आईसीएमआर के अध्ययन में वायु प्रदूषण से 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा का आर्थिक नुकसान का भी जिक्र है. आईसीएमआर का अध्ययन चौंकाने वाले थे जिनमें साल 1990 से 2019 के बीच हवा में मौजूद प्रदूषण की वजह से मौतों में 115 फ़ीसदी का इजाफा बताया गया था.


इतना ही नहीं साल 2019 में 18 फ़ीसदी मौतों के लिए वायु प्रदूषण को इकलौता ज़िम्मेदार ठहराया गया है जिनमें इस्केमिक हार्ट डिज़ीज, स्ट्रोक, डायबिटीज़ जैसी बीमारी प्रमुख कारक बताए गए थे. वायु प्रदूषण को लेकर किए गए अध्ययन में नवजात बच्चों की मौत के लिए 60 फ़ीसदी तक ज़िम्मेदार वायु प्रदूषण को बताया गया था.

आईसीएमआर के अध्ययन में दावा किया गया था कि साल 2019 में होने वाली वायु प्रदूषण से मौतें सड़क दुर्घटनाएं, आत्महत्या और आतंकवाद जैसे कारणों को मिलाकर भी ज्यादा थीं. ज़ाहिर है वायु प्रदूषण के गंभीर खतरे को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने तीन साल पहले ही विस्तृत अध्ययन कर बता दिया था लेकिन पिछले तीन सालों में स्थितियां बद से बदतर ही हुई हैं.

वायु प्रदूषण को कम करना ही है एकमात्र उपाय
एयर क्वालिटी इंडेक्स साल दर साल और खराब होते जा रहे हैं. दिल्ली एनसीआर में पांच सौ तक आंकड़ा छू जाना सीवियर के निशान से कहीं ऊपर है. पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ भगवान मंत्री कहते हैं हर साल प्रदूषण की समस्या देखने को मिलती है. इससे लोगों को सांस संबंधित बीमारियां भी होती हैं और डिजीज के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि वायु प्रदूषण कैंसर का कारक है. डॉ भगवान मंत्री आगे कहते हैं कि ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां स्मोकिंग नहीं करने वालों को भी फेफड़े का कैंसर हो रहा है जो बड़ी चिंता का विषय है.

दरअसल देश में बढ़ती आबादी की वजह से नई इमारतें, कंपनियां शॉपिंग मॉल और रिहायशी इलाकों का निर्माण हो रहा है. इनको बनाने के लिए बड़ी संख्या में जंगलों को काटा जा रहा है. नए वातावरण में साफ हवा कम और धुंध के बादल ज़्यादा हैं. लोगों को मामले की गंभीरता को समझते हुए प्राइवेट वाहन की जगह सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना होगा साथ ही निजी वाहन की जगह कार पूलिंग और घरों या बगीचे में मौजूद सूखी पत्तियों को जलाएं बगैर खाद बनाकर इस्तेमाल करना होगा.

दिल्ली समेत भारत के कई हिस्से लंबे समय से वायु प्रदूषण की चपेट में है लेकिन सख्त कदम उठाए जाने की मांग पिछले कुछ सालों से हो रही है. देश के कई हिस्सों में रहने वाले लोग इस समय जिस हवा में साँस ले रहे हैं वह स्वस्थ लोगों के लिए खतरनाक तो है ही वहीं बीमार लोगों के लिए गंभीर ख़तरे पैदा करती हैं. सरकार दावा कर रही हैं कि पॉल्यूशन को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो हवा साफ होती नहीं दिख रही हैं. भारत में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का बोझ बढ़ने का खतरा बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो सकती है.

Share:

सुसाइड केस: राहुल नवलानी को ‘डर’ फिल्म के शाहरुख से भी ज्यादा खतरनाक मानती थी वैशाली ठक्कर

Thu Nov 10 , 2022
इंदौर: ससुराल सिमर का फेम और बिग बॉस की पूर्व प्रतियोगी वैशाली ठक्कर आत्महत्या कांड की जांच ठंडे बस्ते में पड़ चुकी है. इस मामले की सह-आरोपी और वैशाली के पूर्व बॉयफ्रेंड की राहुल नवलानी की पत्नी दिशा नवलानी घटना के बाद से अब तक, मामले की जांच एजेंसी यानी इंदौर पुलिस की गिरफ्त से […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
बुधवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved