धारा 20 की छूट का नहीं मिलेगा अब लाभ
इंदौर। सीलिंग ((Ceiling) की छूट जिन गृह निर्माण संस्थाओं ( house building institutions) को शासन ने दी थी अब वह वापस ली जा रही है, क्योंकि अधिकांश संस्थाओं ने इसका दुरुपयोग किया और भूमाफियाओं (land mafia) ने संस्था की जमीनें (lands) हड़प ली और पीडि़तों को भूखंड भी उपलब्ध नहीं करवाए। कलेक्टर के रूप में मनीष सिंह ने धारा 20 की छूट के दुरुपयोग के मामले में दो संस्थाओं पर कार्रवाई की थी और अब जाते-जाते भी इंदौरी भूमाफियाओं के ताबूत में आखरी किल ठोंकते हुए उन्होंने 186 गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को भी सरकारी घोषित करने के आदेश जारी कर दिए। अब इन जमीनों पर नगर तथा ग्राम निवेश, सहकारिता, निगम या अन्य विभागों से बिना कलेक्टर की एनओसी मंजूरी नहीं मिल पाएगी।
अग्निबाण लगातार इस मुद्दे को उठाता रहा कि भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी जमीनों को सरकारी घोषित किया जाए, क्योंकि इसमें नगर भूमि सीमा अधिनियम यानी सीलिंग की धारा 1976 की धारा 19 (5) तथा 20 (क) के तहत दी गई छूट का उल्लंघन किया गया है। दीपक मद्दे, संघवी सहित तमाम भूमाफियाओं ने इस छूट हासिल संस्था की जमीनों को अपने कब्जे में किया और हजारों भूखंडधारी परेशान होते रहे। कलेक्टर के रूप में मनीष सिंह ने धारा 20 की छूट हासिल इन गृह निर्माण संस्थाओं की जांच शुरू करवाई और शासन द्वारा जिन शर्तों पर अतिशेष जमीन को छोड़ा गया था उसका उल्लंघन करने वाली संस्थाओं की जमीनों को शासन में वैस्थित करने के आदेश जारी किए। पिछले दिनों अपर कलेक्टर राजेश राठौर ने श्रीराम गृह निर्माण और सूर्या गृह निर्माण के संबंध में इसी तरह के आदेश जारी किए थे और अब मनीष सिंह ने जाते-जाते भी 186 गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को शासन में वैस्थित करने के आदेश जारी कर दिए हैं, ताकि इन जमीनों की खरीद-फरोख्त रूक सके और संस्था के आवासहीन तथा निम्न आय वर्ग के लोगों को ही भूखंड मिलें और उनके नाम पर जो सीलिंग से विमुक्ति पाई उसका दुरुपयोग भी ना हो सके। श्री सिंह ने अपने इस विस्तृत आदेश में शासन में वैस्थित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और अब शासन को इन सभी 186 गृह निर्माण संस्थाओं की जानकारी भेजी जा रही है। तहसीलदार और अनुविभागीय अधिकारी कनाडिय़ा, भिचौली हब्सी, हातोद, मल्हारगंज, राऊ सहित अन्य को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि संस्था की इन जमीनों पर अब किसी तरह की अनुमति, डायवर्शन, नामांतरण या अन्य कार्रवाई नहीं करे। नगर निगम, सहकारिता विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर अन्य संबंधित विभागों को भी इन संस्थाओं की सूची भेजी जा रही है, ताकि वे भी इन पर किसी तरह की अनुमति बिना कलेक्टर की एनओसी लिए ना दें। अपने आदेश में मनीष सिंह ने यह भी स्पष्ट कहा कि सीलिंग प्रभावित इन जमीनों का माफिया ने विशुद्ध व्यवसायिक लाभ हासिल करने के लिए दुरुपयोग किया और विमुक्ति प्राप्त बेशकीमती जमीनों को खुर्द-बुर्द किया गया और इस संबंध में तमाम शिकायतें शासन-प्रशासन को लगातार मिलती रही है। नतीजतन विमुक्त भूमि पर आवासीय योजना तैयार कर आवासहीनों और निम्न आय वर्ग के सदस्यों को भूखंड उपलब्ध कराए जाएं, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने सुराज कालोनी की घोषणा भी की है।
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