इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे। निजी अस्पतालों में लगने वाली आग के मामले में अस्पताल के संचालकों पर कार्रवाई हो जाती है, लेकिन इंदौर के एमटीएच स्थित सरकारी अस्पताल में तो सारे फायर उपकरण खराब हैं। आपातकाल में मरीजों के निकलने वाले फायर एक्जिट वाले रास्तों पर ताले डले हैं। यदि आग लग गई तो मरीज तो मरीज परिजन भी बाहर नहीं निकल पाएंगे और ऐसे हादसों का जिम्मेदार कौन होगा। एमटीएच स्थित अस्पताल में प्रतिदिन पांच सौ मरीज सरकार की योजनाओं में इलाज कराने आते हैं। इसके अलावा से 50 से अधिक प्रसूताओं की डिलेवरी कराने वाले इस अस्पताल में सैकड़ों की तादाद में महिलाएं और बच्चे मौजूद रहते हैं।
जबलपुर के अस्पताल में लगी आग और हुई मौतों के बाद निजी अस्पतालों पर सीएमएचओ का डंडा चला, लेकिन अपने ही गिरेबां में झांकने की जहमत नहीं उठाई। एमटीएच अस्पताल में लगे फायर उपकरणों से लेकर प्लांट तक खामियां ही खामियां हैं। अलार्म खराब, पानी फेंकने वाला पम्प खराब, अग्निशमन यंत्र चार महीने से एक्सपायर हुए पड़े हैं। कर्ताधर्ताओं को रिफिलिंग का होश ही नहीं है। तल मंजिल से लेकर पांचवीं मंजिल तक लगे उपकरण खराब पड़े हैं या चार महीने पहले उनकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी है। वहीं दूसरी तरफ फायर एक्जिट के नाम पर बनाए गए रास्ते पर ताले जड़ रखे हैं। यदि कोई दुर्घटना होती है तो मरीजों को भागने तक का मौका नहीं मिल सकेगा।
फायर पम्प के बेल्ट तक टूटे
फायर फाइटिंग सिस्टम के नाम पर पूरे अस्पताल में बड़े-बड़े पाइपों का जाल बिछा रखा है। हाल ही में निर्मित होने के बाद भी फायर अलार्म होने के बाद भी एक भी नहीं काम कर रहा। आगजनी के दौरान पानी फेंकने के लिए लगाए गए 60 एचपी के पम्प का बेल्ट जहां टूटा पड़ा है, वहीं इलेक्ट्रिक कनेक्शन में फाल्ट है। प्रेशरगेज खराब है। 20 एचपी के चार पम्प भी अव्यवस्था के शिकार होकर खराब पड़े हैं। बिल्डिंग के निर्माण के दौरान प्रत्येक कमरे में स्प्रिंग कलर सिस्टम लगाया गया है, लेकिन इसका पम्प भी स्पीडोमीटर खराब होने के कारण काम नहीं कर रहा।
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