शर्म अल शेख /मिस्र । मिस्र के शर्म अल शेख (Egypt’s Sharm El Sheikh) में शुरू हुए 27वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (COP-27) के एजेंडे में इस वर्ष जलवायु मुआवजा शामिल कर लिया गया है। इससे मुआवजे से भागने वाले विकसित देशों पर दबाव बनाने में भी मदद मिलेगी। भारत की तरफ से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Environment Minister Bhupendra Yadav) सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं।
प्राकृतिक आपदा पर विकसित देश नहीं देते ध्यान
प्राकृतिक आपदाओं पर ध्यान न देने का एक कारण, मंत्री ने समझाया, क्योंकि “इसके बारे में कुछ करने में सक्षम देश सबसे कम प्रभावित हैं वे जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़े योगदानकर्ता भी हैं, जबकि सबसे कमजोर क्षेत्र कर्क और मकर कटिबंध के बीच स्थित हैं। भारत सहित अधिकांश विकासशील दुनिया इन कटिबंधों के बीच स्थित है। बाहरी आपदाओं की शुरुआत के बाद सार्वजनिक व्यय और राजस्व की हानि इस क्षेत्र में कम से कम मुकाबला करने की क्षमता के साथ बढ़ने लगी है।
अमीर देशों से अधिक एकजुटता की उम्मीद
बैठक में कॉप-27 के अध्यक्ष मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी ने कहा कि यह सम्मेलन जलवायु को नुकसान पहुंचाने वालों से मुआवजा लेने के मसले पर एक सार्थक निर्णय लेने का पथ प्रशस्त करेगा। जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेरबॉक ने कहा कि वे अमीर देशों से अधिक एकजुटता की उम्मीद करती हैं। जर्मनी जलवायु वित्तपोषण और नुकसान व क्षति से निपटने में सहयोग देने के लिए तैयार है।
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र के जलवायु वैज्ञानिक पैनल के प्रमुख ने अपने उद्घाटन भाषण में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती और धरती के तापमान में वृद्धि को रोकने के उपायों को तत्काल अपनाने की जरूरत का उल्लेख किया। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के प्रमुख होसुंग ली ने कहा, यह हमें अपने ग्रह और आजीविका को बचाने के लिए पीढ़ियों में एक मौका मिला है। दो सप्ताह तक होने वाली इस बैठक में देशों के बीच जलवायु कार्रवाई पर बातचीत होगी।
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