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JP नड्डा बोले- हिमाचल में भी राज नहीं, रिवाज बदलेगा, हताश हो गया है बेरोजगार विपक्ष

November 03, 2022

नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के मतदाता भी इस बार यूपी, उत्तराखंड, गोवा व मणिपुर की तरह इतिहास रचने जा रहे हैं। वहां राज नहीं, रिवाज बदलने जा रहा है। उनका दावा है कि हिमाचल में भाजपा की जयराम ठाकुर सरकार इस बार भी सत्ता में आएगी।

भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने विशेष बातचीत में हिमाचल व गुजरात के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव, महंगाई, बेरोजगारी व समान नागरिक संहिता सहित कई मुद्दों पर खुलकर जवाब दिए। नड्डा ने कहा, भाजपा किसी दुविधा में नहीं हैं। गुजरात में चुनाव का सातवां द्वार भी फतह करेगी। पार्टी अपने मुख्यमंत्रियों के चेहरे पर ही मैदान में है। सत्ता में आने पर हिमाचल में जयराम ठाकुर और गुजरात में भूपेंद्र पटेल ही मुख्यमंत्री बनेंगे।

महंगाई-बेरोजगारी पर सरकार संवेदनशील
नड्डा ने कहा, हम मुद्रास्फीति की दर को नीचे रख पाए हैं और विकास के लिए जुटे हैं। जनता जानती है कि भाजपा सरकार महंगाई के प्रति संवेदनशील होती है। जैसे ही स्थिति बनी, भाजपा की केंद्र व राज्य की सरकारों ने पेट्रोल-डीजल व गैस के दाम घटाए। पर, राजस्थान की गहलोत सरकार, छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार व महाराष्ट्र में जब तक उद्धव ठाकरे सरकार में रहे, क्या किया? विपक्ष केवल घड़ियाली आंसू बहाता है।

तो तरक्की पर पड़ता है असर
भाजपा अध्यक्ष ने कहा, डबल इंजन की सरकार न होने से राज्य की तरक्की पर फर्क पड़ता है। हिमाचल में रेल लाइन अटलजी के वक्त बननी शुरू हुई थी। लेकिन, कांग्रेस सरकार आने के बाद कोई प्रगति नहीं हुई। फिर मोदी पीएम बने तो 4 वर्ष में 10 किमी का टनल बन गया।

अब प्रो इनकंबेंसी लहर
नड्डा ने कहा, पहले एंटी इनकंबेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर की बात होती थी। जब से मोदी सत्ता में आए हैं, ‘प्रो इनकंबेंसी’ की बात होती है। भाजपा सरकारें जहां एक बार जीतती हैं, दिन-रात काम करती हैं। फिर जनता हर चुनाव में उसे जिताने लगती है।

समान नागरिक संहिता : राज्यों के पास ताकत, कर सकते हैं लागू
आप काम के आधार पर चुनाव में जाने की बात करते हैं, मगर ऐन पहले समान नागरिक संहिता लागू करने की बात करने लगते हैं। उत्तराखंड, फिर गुजरात सरकार ने यही दांव चला। भाजपा इसे जरूरी मानती है तो केंद्र सरकार से पहल को क्यों नहीं कहती?
कुछ चीजें कानूनी दृष्टि से देखनी पड़ती हैं। रणनीति के लिहाज से इसका हम खुलासा नहीं कर सकते। पर, राज्यों के पास इस तरह की ताकत है। वे इसे लागू कर सकते हैं। ऐसे में जिस-जिस राज्य में हमारी सरकारें आ गईं हैं, वहां-वहां हम ऐसा करने का प्रयास करते हैं।


हिमाचल व गुजरात के लिए कांग्रेस और आप ने कई वादे किए हैं। भाजपा के पास क्या खास है?
भाजपा का दोनों ही राज्यों के लिए एक समान एजेंडा है। दोनों राज्यों की परिस्थितियों के अनुसार लोगों की कुछ अपेक्षाएं अलग हो सकती हैं। लेकिन, उसका मूल आम आदमी का सशक्तीकरण है। उसके लिए हम सक्षम तरीके से काम कर रहे हैं। कनेक्टिविटी हो, शिक्षा हो, स्वास्थ्य से जुड़ी व्यवस्थाएं हों, सपोर्ट सिस्टम हो, आर्थिक स्थिति के लिए रोजगार के अवसर बनें, इन सब पर काम कर रहे हैं। लोगों को सुरक्षा के साथ सम्मानपूर्ण जीवन जीने का माहौल देने के लिए हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भरपूर प्रयास कर रहे हैं। हिमाचल की जनता हो या गुजरात की, उसके मन में स्पष्ट है कि विकास तभी होता है, जब भाजपा की सरकार होती है और जब प्रधानमंत्री का आशीर्वाद मिलता है।

हिमाचल के लोगों में यह धारणा बन चुकी है कि जब-जब भाजपा की सरकार आई है, तब-तब राज्य को विशेष महत्व मिला है… अटल की सरकार हो या मोदी की, लोग खुलकर कहते हैं… एम्स, आईआईएम, आईआईआईटी, यूनिवर्सिटी, मेडिकल काॅलेज, नेशनल हाईवे, मेडिकल डिवाइस पार्क जैसे हजारों करोड़ के कई-कई प्रोजेक्ट राज्य को मिले हैं। विकास के इस मॉडल को लोग मानते हैं। इसी तरह चंडीगढ़ से कीरतपुर-मनाली 60 हजार करोड़ के फोरलेन नेशनल हाईवे जैसे प्रोजेक्ट जब लोगों को दिखते हैं, तब जनता आशीर्वाद देती है।

जब भाजपा की केंद्र व राज्य की सरकारें इतना काम कर रही हैं तो फिर हिमाचल के लोग हर चुनाव में सरकार बदल क्यों देते हैं?
(…बात पूरी होने से पहले ही बोल पड़ते हैं) पहले ऐसा होता था। अब पूरे देश में राज नहीं रिवाज बदल रहा है। हिमाचल में भी यह रिवाज बदलने जा रहा है। यह कहने के लिए नहीं कह रहा हूं। उस भरोसे व विश्वास पर कह रहा हूं, जो जनता हम पर करती है। अब यूपी को हो देखिए। यूपी में 38 साल बाद पहली बार कोई पार्टी लगातार सत्ता में आई।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वहां पहली बार भाजपा ही लगातार दूसरी बार सत्ता में आई। गोवा में तीसरी बार आए। मणिपुर में भी दूसरी बार भाजपा आई। एक बात और… पहले ‘प्रो इनकंबेंसी’ शब्द कहीं सुनने को नहीं मिलता था। अब हर चुनाव से पहले सुनने को मिलता है। हम दावे से कहते हैं कि हिमाचल में कहीं भी चले जाइए, सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी सुनने को नहीं मिलेगा। लोगों को भरोसा है कि यदि भाजपा फिर आई तो जो काम हो रहे हैं, वे होते रहेंगे।

अच्छा काम कर रहे हैं तो फिर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने में संकोच क्यों?
कोई दुविधा नहीं है। भाजपा हिमाचल में जयराम ठाकुर और गुजरात में भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है। ये ही वहां चुनाव के चेहरे हैं। लोग समझने में चूक करते हैं। बहुत स्पष्ट है कि देशभर में नेतृत्व मोदी जी का है। जब भी हमारा पोस्टर-बैनर देखेंगे, उसमें सबसे बड़ा चेहरा मोदी का होगा। लेकिन, प्रदेश में उसे धरती पर उतारने के लिए जो दूसरा बड़ा चेहरा दिखेगा वह गुजरात में भूपेंद्र पटेल व हिमाचल में जयराम ठाकुर ही होंगे।

यानी इन राज्यों में भाजपा को फिर सत्ता मिली तो भूपेंद्र पटेल व जयराम ठाकुर ही मुख्यमंत्री बनेंगे?
बिल्कुल। लेकिन, इसकी एक प्रक्रिया है। चुनाव बाद पार्लियामेंट्री बोर्ड इन नामों पर मुहर लगाता है। इसलिए पहले भी स्पष्ट कर दिया गया है कि दोनों ही राज्यों में मौजूदा मुख्यमंत्री ही चुनावी चेहरा हैं। मैंने जनवरी में ही स्पष्ट कर दिया था कि नेतृत्व में परिवर्तन नहीं होगा, जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा।

हिमाचल व गुजरात के चुनाव क्यों प्रतिष्ठापूर्ण?
हिमाचल इसलिए क्योंकि नड्डा का यह गृहराज्य है और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते राज्य का पहला विधानसभा चुनाव है। वे अपने गृहराज्य में हर बार सरकार बदलने का रिवाज बदल पाए तो उपलब्धि और बड़ी हो जाएगी। गुजरात पीएम नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है और 2017 के चुनाव में पहली बार भाजपा दहाई में सिमट गई थी। किसी तरह सरकार बना पाई थी। बीच में मुख्यमंत्री भी बदलना पड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ आप भी पूरी ताकत लगाए हुए है। लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात जीतना नाक का सवाल बना हुआ है।

कांग्रेस हिमाचल में डबल इंजन सरकार को फेल बता रही है (बात काटते हुए) हम फैक्ट के आधार पर कुछ उदाहरण दे रहे हैं। पता चल जाएगा कि डबल इंजन व अलग-अलग इंजन में क्या फर्क होता है?
अटल जी ने टनल का शिलान्यास किया, कांग्रेस राज में ठप रहा…मोदी आए तब पूरा हुआ। अभी सियाचिन तक जो रसद जाती है, वह हिमाचल होकर जाती है। पहले रक्षा विभाग को छह महीने तक प्राइवेट ट्रक की व्यवस्था कर रसद की ढुलाई करनी पड़ती थी। अटल जी पीएम बने। हिमाचल में उनके एक मित्र थे, अर्जुन गोपाल। उन्होंने टनल बनाने का सुझाव दिया। अटल जी ने रक्षा मंत्रालय को यह टास्क सौंपा। कार्रवाई आगे बढ़ी और 1999 में अटल जी ने इसका शिलान्यास कर दिया। वर्ष 2003-04 तक सारी प्रक्रिया पूरी कर 1300 मीटर काम भी हो गया था कि उनकी सरकार चली गई।

इसके बाद कांग्रेस सरकार आई और काम रुक गया। अटल जी आखिरी बार 2004 या 2005 में आए थे। उन्होंने पूछा कि टनल की क्या प्रगति है? मैंने उन्हें बताया कि काम रुक गया। उन्होंने कहा, टनल के शिलान्यास का पत्थर मेरे दिल पर पत्थर की तरह है। यह बात मैंने मोदी जी को बताई। वह पहले से यह घटनाक्रम जानते थे। मोदी पीएम बने तो चार वर्ष के भीतर 10 किमी. का टनल बन गया। यह डबल इंजन सरकार की वजह से हो सका। 2004 से 14 तक कांग्रेस सरकार थी, कुछ नहीं हुआ। हिमाचल से लेह के लिए रेल लाइन बन रही है। मोदी सरकार ने इसे 2015 में क्लीयरेंस दिया, लेकिन उस समय कांग्रेस की वीरभद्र सरकार ने 2017 तक जमीन ही नहीं दी।


आम आदमी पार्टी तो गुजरात जीतने का दावा कर रही है? आप को किस तरह चुनौती मानते हैं?
आप हिमाचल में आई और क्रीज पर टिकने से पहले ही चली गई। उनके अध्यक्ष, सोशल मीडिया के इंचार्ज और आधी कार्यकारिणी भाजपा में आ गई। ऐसा इसलिए कि बड़ी संख्या में हिमाचल के लोग दिल्ली व पंजाब में रहते हैं। हर घर से एक न एक सदस्य इन दोनों राज्यों में होगा। उन्होंने इनके कारनामे देख लोगों को समझा दिया कि आप से बचकर रहना। तब ये भाग खड़े हुए और गुजरात पहुंच गए। गुजरात की जनता मोदी जी को जिस तरह प्यार व समर्थन दे रही है, वह हर कोई देख रहा है। आप की बात करें तो यूपी में वह 350 सीटों पर चुनाव लड़ी और 349 पर जमानत जब्त हो गई। उत्तराखंड में 69 में से 65 पर और गोवा में 39 में से 35 पर जमानत जब्त हो गई। मणिपुर पहुंच ही नहीं पाए। हिमाचल व गुजरात में भी ऐसे ही नतीजे आएंगे। आप हर चुनाव से पहले हर जगह पहुंचकर बड़ी-बड़ी होर्डिंग लगाकर, बड़े-बड़े दावे कर भ्रम का माहौल तैयार करती है लेकिन जनता इनकी वास्तविकता समझ चुकी है।

महंगाई और बेरोजगारी से लोग जूझ रहे हैं। चुनाव में भी स्वाभाविक रूप से यह मुद्दा है और विपक्ष इसे उठा रहा है? भाजपा इससे कैसे पार पाएगी?

इस समस्या को समझने के लिए देखना होगा कि क्या यूक्रेन की लड़ाई का असर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ा या नहीं? अन्य देशों से तुलना करें तो भारत बहुत मजबूत स्थिति में है। यह अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया भी कह रही हैं। भारत ने अपने आर्थिक आधार को पकड़ा हुआ है। कोविड महामारी के बावजूद ब्रिटेन को पछाड़कर कर भारत दुनिया की पांचवी अर्थव्यवस्था बन चुका है। ब्रिटेन में तो पीएम तक बदल गए। अमेरिका व यूरोप तक मुसीबत में पड़े हैं। लेकिन, मोदी जी 130 करोड़ के देश को सफलता के साथ आगे ले जा रहे हैं। आज टेलीफोन मैन्युफैक्चरिंग कर हम दुनिया में नंबर दो निर्यातक हैं। स्टील में नंबर दो के निर्यातक हैं। 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर देश बढ़ रहा है। यह सब कोरोनाकाल के दो वर्ष के बाद की उपलब्धि है।

हम महंगाई को लेकर पूरी तरह संवेदनशील हैं और इन विपरीत परिस्थितियों में हर आवश्यक कदम उठा रहे हैं, इसीलिए विकास से जुड़ी रेटिंग अच्छी आ रही है। इसी के साथ हम किसानों के खाते में सम्मान निधि के रूप में 33 हजार करोड़ रुपये पहुंचा रहे हैं। उज्ज्वला योजना, सौभाग्य योजना का लाभ दे रहे हैं। घर-घर शौचालय उपलब्ध करा रहे हैं। इस कठिन आर्थिक परिस्थिति में भी किसी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को रुकने नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री देश को वित्तीय स्थिरता की ओर ले जा रहे हैं। हम घड़ियाली आंसू नहीं बहाते हैं, काम करते हैं।

विपक्ष को एम्प्लाइमेंट का ई भी नहीं पता है। बिहार राजद के एक नेता 10 लाख नौकरी की बात कर रहे हैं (बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की ओर इशारा)। उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन का ए नहीं मालूम है। मैं तो कहता हूं कि आजाद भारत का एक कैबिनेट नोट दिखाएं जिसमें लिखा हो इतने लाख नौकरियां दी जा रही हैं। ऐसा नहीं होता है। कैबिनेट नोट कहता है कि इतनी लागत का फलां प्रोजेक्ट आएगा जिससे इतने रोजगार के अवसर सृजित होंगे। मैं पूछना चाहता हूं कि इतने नेशनल हाईवे बन रहे, सड़कें बन रहीं, कनेक्टिविटी बढ़ रही, जमीन के सर्किल रेट बढ़ रहे, क्या इससे नौकरियों के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं? वास्तव में आज विपक्ष बेरोजगार होकर फ्रस्टेड हो गया है।

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