इंदौर। कचरे से खाद, डीजल बनाने के बाद अब निगम स्लज यानी गाद से बिजली बनाएगा। फिलहाल शहर में रोजाना 70 टन गाद निकलती है, जिसके लिए कबीटखेड़ी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ स्लज हाईजीनेशन और बायोमिथेनाइजेशन प्लांट तैयार किया गया है। यह पूरा प्लांट ऑटोमैटिक सिस्टम अर्थात् स्काडा के तहत संचालित किया जाता है। कबीटखेड़ी में फिलहाल 3 सेंट्रलाइज एसटीपी संचालित हैं।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव और जल कार्य प्रभारी अभिषेक शर्मा ने कबीटखेड़ी स्थित एसटीपी प्लांट का अवलोकन भी किया। निगम और अधिकारियों ने प्लांट के संचालन से लेकर सीवर लाइट, सीवरेज आउटफॉल टेपिंग से लेकर अन्य तकनीकी जानकारी भी दी। 245 एम.एल.डी. एस. टी. पी. प्रोसेस के मुख्य दो भाग हैं, फिजिकल प्रोसेस व बॉयोलॉजिकल प्रोसेस, बॉयोलॉजिल प्रोसेस में तीन घन्टे की साईकल है।
इस प्लांट से प्रतिदिन लगभग 18 टन स्लज जनरेट होता है, जिसका हाईजिनेशन प्लांट से कोवाल्ट 16 प्रोसेस से ट्रीटमेन्ट कर खाद तैयार किया जा रहा है। प्लांट में लगने वाली विद्युत एनर्जी का कैम्पस में संचालित सोलर सिस्टम से विद्युत उर्जा का 25 प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है। जल कार्य प्रभारी अभिषेक शर्मा द्वारा महापौर को बताया कि एस.टी.पी. कैम्पस से लगी हुई लगभग 07 एकड़ की भूमि रिक्त है, जिसमें 25 वर्ष पहले कच्चे क्वाटर बने हैं, जो जीर्ण-शीर्ण अवथा में हैं, इन्हें डिस्मेन्टल कर एस.टी.पी. एवं जी.टी.एस. पर कार्यरत अधिकारी / कर्मचारी हेतु जी + 2 क्वाटर निर्मित करने एवं शेष भूमि पर फलबाग व नर्सरी विकसित किये जाने का प्रस्ताव रखा गया, महापौर महोदय द्वारा प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये गये। वहीं कौवाल्ट 16 आधारित भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के सहयोग से निर्मित एवं संचालित स्लज हाईजिनेशन प्लांट का भी अवलोकन किया इसके उपरान्त 15 टी.पी.डी. बायोमिथेनाईजेशन प्लांट का भी अवलोकन किया गया।
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