नई दिल्ली। इजराइल (Israel) में फिर से 1 नवंबर को आम चुनाव हो रहे हैं। जानकर हैरानी होगी कि चार साल से भी कम वक्त में यह पांचवीं बार है जब आम चुनाव (General election) कराए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये चुनाव महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ऐसे संकेत हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी (Benjamin Netanyahu’s Likud Party) एक बार फिर से सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है। हालांकि किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने से चलते इजराइल में एक के बाद एक तीन साल में पांचवीं बार आम चुनाव हो रहे हैं।
इस साल की शुरुआत में अप्रैल में, सांसद इडित सिलमैन ने प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की धार्मिक-राष्ट्रवादी यामिना पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के साथ ही यामिना पार्टी जरूरी बहुमत से पिछड़ गई। उस समय, बेनेट ने दावा किया था कि नेतन्याहू के समर्थकों ने सिलमैन को “डराया धमकाया” था। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू के समर्थकों ने सिलमैन को “महीनों तक सताया” था। जेरूसलम पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया कि उत्पीड़न के बाद सिलमैन को गठबंधन छोड़ना पड़ा।
लेकिन सिलमैन की एक अलग कहानी थी। उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे का कारण देश के स्वास्थ्य मंत्री नित्जन होरोविट्ज द्वारा अस्पतालों को दिए गए निर्देश थे। दरअसल इजराइली स्वास्थ्य मंत्री ने अपने निर्देशों में कहा था कि फसह के त्योहार के दौरान आगंतुकों को खमीरी रोटी के साथ अस्पताल में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए। यह एक ऐसा कृत्य है जो यहूदी धार्मिक कानूनों के तहत निषिद्ध है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश इजराइल के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद आए थे।
हालांकि सिलमैन के इस्तीफे ने आठ पार्टियों के गठबंधन को अस्त-व्यस्त कर दिया। समस्या इस तथ्य में निहित है कि इजराइल में जो संसदीय प्रणाली है उसमें अलग-अलग आकार के कई अलग-अलग दल हैं। लेकिन इनमें से किसी भी दल ने नेसेट (इजराइली संसद) में कभी भी अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं किया, जिससे पार्टियों को सरकार बनाने के लिए आवश्यक 61 सीटों तक पहुंचने के लिए गठबंधन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। गठबंधन और उसके बाद के बहुमत को बरकरार रखना मुश्किल हो जाता है। एक भी सदस्य अगर अपना समर्थन वापस लेता है तो भी राजनीतिक अस्थिरता पनप सकती है और वैसा ही हुआ।
इजराइली राष्ट्रपति इसाक हर्जोग ने मंगलवार सुबह यरुशलम में मतदान करते हुए नागरिकों को ऐसे वक्त में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का आग्रह किया जब कई देशों में अरबों लोग इस अहम लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित हैं। इजराइल में राजनीतिक गतिरोध तोड़ने के लिए हो रहे आम चुनावों के लिए मंगलवार सुबह मतदान शुरू हुआ। मतदान केंद्र स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे खुले। मतदान रात 10 बजे तक चलेगा लेकिन आधिकारिक नतीजे बुधवार तक आने की संभावना नहीं है। सरकार बनाने की प्रक्रिया हफ्तों तक चल सकती है।
हर्जोग ने कहा, ‘‘इजराइल सच्चा लोकतंत्र है। लाखों मतदाता आज वोट डालने तथा देश का भविष्य एवं दिशा तय करने जाएंगे। यह एक समृद्ध लोकतंत्र हैं जिसमें कई आवाजें हैं।’’ इजराइल के करीब 67.8 लाख नागरिक मतदान के योग्य हैं और वे 25वीं इजराइली संसद (नेसेट) का चुनाव करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें इस बड़े अधिकार का हमेशा सम्मान करना चाहिए क्योंकि कई सारे देश तथा अरबों लोग हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण रूप से इस अधिकार से वंचित हैं।’’
प्रधानमंत्री येर लापिद ने अपनी पत्नी लिही के साथ तेल अवीव में अपने आवास के समीप स्थित मतदान केंद्र पर वोट डाला। उन्होंने अपनी पार्टी ‘येश आतिद’ को चुनने का परोक्ष संदेश देते हुए कहा, ‘‘सुप्रभात, समझदारी से वोट डालें। इजराइल के लिए, हमारे बच्चों के भविष्य और हमारे भविष्य के लिए वोट डालें।’’
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