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    मोरबी पुल हादसाः कुछ दिन पहले ही मरम्मत पर खर्च हुए थे 2 करोड़?

  • November 01, 2022

    मोरबी। गुजरात (Gujarat) के मोरबी जिले (Morbi district) में रविवार को माच्छू नदी (Machu River) पर बने एक तारों के पुल के गिर जाने से 134 लोगों की मौत हो गई। इस बीच, पुल के ढहने के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राजकोट रेंज के आईजी अशोक यादव (IG Ashok Yadav) ने सोमवार को कहा, “हमने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के बाद नौ लोगों को गिरफ्तार (nine people arrested) किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में ओरेवा कंपनी के प्रबंधक और टिकट क्लर्क शामिल हैं।” उन एजेंसियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई जिन्हें पुल के रखरखाव और संचालन का काम सौंपा गया था। मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने कहा कि शहर स्थित ओरेवा समूह को पुल के नवीनीकरण और संचालन का ठेका दिया गया था।

    सात महीने तक चला था नवीनीकरण
    इस बीच एक रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि जब ओरेवा फर्म ने इस पुल का सात महीने तक नवीनीकरण किया था तब उस दौरान पुल के कुछ पुराने केबल तार बदले ही नहीं गए थे। गुजरात स्थित ओरेवा फर्म को मार्च में मोरबी शहर के नगर निकाय द्वारा कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। कॉन्ट्रैक्ट डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक कोई टेंडर नहीं निकाला गया था। यही नहीं, नवीनीकरण के बावजूद पुल के पुराने तारों को नहीं बदला गया था। सूत्रों ने कहा कि गुजरात की फोरेंसिक प्रयोगशाला ने भी पाया है कि लोगों की भारी भीड़ के कारण पुल ढह गया। फोरेंसिक टीम ने विश्लेषण के लिए भारी कटिंग टूल्स के साथ पुल के धातु के नमूने निकाले हैं।


    फोरेंसिक विशेषज्ञों और इंजीनियरों की मदद ले रही सरकार
    वहीं पुलिस ने भी सोमवार को पुल गिरने की संभावित कमियों के बारे में बताया। दरअसल पुल के टूटने के लिए प्रथम दृष्टया तकनीकी और संरचनात्मक खामियां और रखरखाव संबंधी कुछ कमियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। राजकोट रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अशोक कुमार यादव ने कहा कि घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच के लिए पुलिस फोरेंसिक विशेषज्ञों और संरचनात्मक इंजीनियर की मदद लेगी। यादव ने कहा, “हमारी शुरुआती जांच में पता चला है कि तकनीकी और संरचनात्मक संबंधी खामियां इस त्रादसी के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें प्रमाणन (की कमी) के साथ-साथ रखरखाव संबंधी कमियां भी शामिल हैं।”

    घटना के सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि दो मुख्य केबल में से एक के अचानक टूट जाने से संकरे पुल पर खड़े लोग नदी में गिर गए। ब्रिटिश काल के दौरान बने इस पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका ओरेवा समूह को मिला था। यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इन नौ लोगों में से दो लोग मैनेजर हैं, जबकि दो पुल पर टिकट बुकिंग क्लर्क हैं। हम गहन जांच करेंगे और दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि अन्य पांच आरोपियों में ओरेवा समूह द्वारा काम पर रखे गए दो मरम्मत ठेकेदार और पुल पर सुरक्षाकर्मियों के रूप में काम करने वाले तीन लोग शामिल हैं।

    मोरबी नगर निगम ने शहर के ही घड़ियां और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मच्छु नदी पर बने शताब्दी पुराने तारों से बने पुल की मरम्मत का काम सौंपा था। नगर निगम के सोमवार को मिले दस्तावेजों के अनुसार, ओरेवा ग्रुप को 15 साल तक पुल की मरम्मत करने, उसका संचालन करने और 10 से 15 रुपये प्रति टिकट मूल्य पर टिकट बेचने की अनुमति थी।

    फर्म ने 26 अक्टूबर को दावा किया कि उसने मरम्मत कार्य में विशेषज्ञों की मदद ली है और ‘विशेषज्ञ फर्म’ की सलाह पर विशेष सामग्री का उपयोग किया गया है। आजादी से पहले मोरबी के शासक बाघजी ठाकुर द्वारा 1887 में बनवाए गए इस केबल पुल को मरम्मत पूरी होने के बाद 26 अक्टूबर को मीडिया के सामने ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल और उनके परिवार ने जनता के लिए खोल दिया।

    पुल टूटने के बाद मोरबी नगर निगम के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने दावा किया कि मरम्मत करने वाली कंपनी ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले निगम से ‘अनुमति’ प्रमाणपत्र नहीं लिया। जाला ने रविवार देर शाम कहा था, ‘‘मोरबी नगर निगम ने केबल पुल की मरम्मत का काम ओरेवा ग्रुप को सौंपा था। मरम्मत के कारण वह पिछले छह महीने से इस्तेमाल नहीं हो रहा था। 26 अक्टूबर को, कंपनी ने हमें सूचित किए बगैर ही उसे जनता के लिए खोल दिया। उन्होंने पुल जनता के लिए खोलने से पहले हमने कोई अनुमति प्रमाणपत्र नहीं लिया।’’

    दस्तावेजों के अनुसार, मोरबी नगर निगम ने इस साल मार्च में पुल की मरम्मत और संचालन के लिए ओरेवा ग्रुप के साथ करार किया था। करार के अनुसार, पुल की मरम्मत का सारा खर्च निजी कंपनी उठाएगी और उसे ‘उचित मरम्मत’ के बाद जनता के लिए खोला जाएगा जिसमें करीब ‘8 से 12 महीने का समय लगेगा।’’ करार के अनुसार, 15 साल तक पुल के ‘प्रबंधन’ के लिए निजी फर्म जिम्मेदार होगी जैसे कि आरे एंड एम, सुरक्षा मुहैया कराना, सफ-सफाई रखना, भुगतान वसूली और आवश्यक कर्मचारियों के विकास आदि। करार के यह 15 साल 2037 में पूरे होने हैं।

    करार के मुताबिक, मोरबी नगर निगम ने मंजूरी दी थी कि कंपनी पहले साल में वयस्कों के लिए 15 रुपये और बच्चों के लिए 10 रुपये की टिकट लगा सकती है, और टिकट की राशि में हर साल दो रुपये का इलाज किया जा सकेगा। मरम्मत के बाद पुल जब 26 अक्टूबर को जनता के लिए खोला गया तो उस वक्त ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल ने मीडिया को बताया कि उनकी कंपनी ने मरम्मत पर दो करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मोरबी पुल टूटने के मामले पर सोमवार रात एक बैठक की अध्यक्षता की और अधिकारियों से घटना से प्रभावित लोगों की हरसंभव मदद करने को कहा। अधिकारियों ने कहा कि गांधीनगर में राजभवन में हुई बैठक में प्रधानमंत्री को घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्यों के बारे में जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री गुजरात के दौरे पर हैं। अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि घटना से प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता मिले। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘मोदी ने राजभवन, गांधीनगर में मोरबी घटना की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।’’

    विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री को घटनास्थल पर शुरू किए गए राहत और बचाव कार्यों से अवगत कराया गया और घटना से संबंधित सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। बैठक में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी, मुख्य सचिव पंकज कुमार और गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आशीष भाटिया सहित अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।

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