Astrology-तत्व प्रधान ग्रहों के सेनापति मंगल (Mangal) 30 अक्टूबर यानी आज उल्टी चाल शुरू हो रही है। मंगल मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में किसी ग्रह के वक्री होने का मतलब उसकी उल्टी चाल से है। मंगल (Mangal) अब तक मिथुन राशि में मार्गी (सीधी चाल) थे, लेकिन रविवार शाम 6 बजकर 54 मिनट के बाद से उनकी उल्टी चाल शुरू हो जाएगी।
तत्व प्रधान ग्रह मंगल mangal आज से अपनी उल्टी चाल चलने astrology वाला है। mithun me mangal vakri मंगल को उग्र ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के जानकारों का कहना है कि मिथुन राशि में वक्री मंगल तीन राशि के जातकों को बहुत शुभ परिणाम देंगे। इन राशि के जातकों को नौकरी, करियर और कारोबार के मोर्चे पर खूब लाभ मिलेगा।
मंगल पुरुष ग्रह माना गया है। यह मेष राशि और वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। भ्रमण काल के दौरान जब मंगल मकर राशि में आता है। उच्च का कहा जाता है। जब कर्क राशि में आता है। तो नीच का कहा जाता है। मेष राशि 1 से 18 वर्ष तक यह मूल त्रिकोण में माना जाता है। मंगल को पापी ग्रह कहते हैं। साथ ही इसे पराक्रम का प्रतीक भी मानते हैं। इसे रक्तगौर रंग का माना जाता है। इसमें अग्नि तत्व की प्रधानता होती है।
सिंह राशि
मंगल सिंह राशि के 11वें भाव में वक्री होने वाले हैं। इससे आपकी आय में बढ़ोतरी होगी। व्यापार में लाभ कमाने के कई अच्छे अवसर आपके हाथ लग सकते हैं। खर्चों पर लगाम रहेगी और व्यापार में दोगुनी रफ्तार से लाभ होगा।
कन्या राशि
मंगल देव कन्या राशि के दशम भाव में वक्री होने जा रहे हैं। नौकरी-व्यापार के दृष्टिकोण से मंगल की उल्टी चाल आपके लिए बहुत ही शुभ होगी। नई नौकरी के अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
मौसम में बदलवा आ सकता है
मंगल जब भी राशि परिवर्तन करता है या वक्री या मार्गी होता है तो वह उत्पाद तो मचाता ही है साथ ही मौसम में भी परिवर्तन होने की संभावना होती है। हवा पानी, बारिश के योग बनते हैं।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार मंगल मिथुन राशि में वक्री होंगे। इसलिए मिथुन राशि के जातकों को इस दौरान विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। इस दौरान इन राशि के जातकों को वाहन आदि चलाने में सावधानी बरतने की जरूरत है। साथ ही इनमें रोगों की वृद्धि हो सकती है।
पंडितों के अनुसार अगर आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति सही नहीं है या मंगल से पीड़ित हैं तो इस दौरान आपको हनुमानजी की उपासना करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार मंगल ग्रह की शांति के लिए जातक को रोज श्री हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए और प्रसाद के रूप में केले को भोग जरूर लगाना चाहिए। साथ ही गरीबों को दान भी देना चाहिए।
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