नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आईटी नियमों में किए गए संशोधन को लेकर शनिवार को तमाम जानकारियां शेयर कीं। उन्होंने कहा कि नए नियम सोशल मीडिया कंपनियों पर और अधिक सावधानी बरतने का दायित्व डालेंगे, ताकि उनके मंच पर कोई भी गैरकानूनी सामग्री या गलत सूचना पोस्ट न की जाए।
सोशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों और अन्य मुद्दों को लेकर दर्ज शिकायतों का निपटारा करने के लिए सरकार ने आईटी नियमों में बदलाव किया है और तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन की घोषणा की है। ये समितियां मेटा और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से सामग्री के नियमन के संबंध में किए गए फैसलों की समीक्षा कर सकेंगी।
तीन सदस्यीय शिकायत अपीलीय समितियों (GAC) के गठन को चंद्रशेखर ने जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार नागरिकों से मिले उन लाखों संदेशों से अवगत है जिनमें सोशल मीडिया कंपनियों पर उनकी शिकायतों का सही ढंग से हल नहीं निकालने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है।
चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया कंपनियों को साझेदारों की तरह काम करते हुए देखना चाहती है, ताकि ‘डिजिटल नागरिकों’ के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा, ‘पहले मध्यवर्तियों का दायित्व उपयोगकर्ताओं को नियमों के बारे में सूचित करने तक था, लेकिन अब इन मंचों के कुछ और निश्चित दायित्व हैं। उन्हें प्रयास करने होंगे कि कोई भी गैरकानूनी सामग्री उनके मंच पर पोस्ट न हो।’
’72 घंटे के बीच हटाई जाए गलत जानकारी’
बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को सख्त संदेश देते हुए मंत्री ने कहा कि ये मंच चाहे अमेरिका के हों या यूरोप के, अगर भारत में एक्टिव हैं तो उनके सामुदायिक दिशा-निर्देश भारतीयों के संवैधानिक अधिकारों के विरोधाभासी नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, ‘इन मंचों का दायित्व है कि कोई भी गलत जानकारी, गैरकानूनी सामग्री या विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने वाली सामग्री को 72 घंटे के बीच हटा दिया जाए।’
‘लोकपाल की भूमिका निभाने में नहीं दिलचस्पी’
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर 72 घंटे की समयसीमा को बहुत अधिक मानते हैं और सोशल मीडिया मंचों को गैरकानूनी सामग्रियों पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। चंद्रशेखर ने कहा, ‘सरकार की दिलचस्पी लोकपाल की भूमिका निभाने में नहीं है। यह एक जिम्मेदारी है जिसे हम अनिच्छा से ले रहे हैं, क्योंकि शिकायत तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है। इसके पीछे किसी कंपनी या मध्यवर्ती को निशाना बनाने या उनके लिए मुश्किलें खड़ी करने की सोच नहीं है।’
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