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क्या नए अंतरराष्ट्रीय समीकरणों का संकेत दे रहा है ईसा और स्पेसएक्स का गठजोड़?

October 22, 2022

डेस्क: अंतरिक्ष के क्षेत्र (Space Research) में अमेरिका से चीन पहले से ही प्रतिस्पर्धा कर रहा है. इस दिशा में पिछले कुछ सालों में उसने तेजी से तरक्की भी की है. कुछ साल पहले सो धीरे धीरे रूस की अमेरिका से दूरियां बढ़ती गईं. शुरुआत आर्टिमिस समझौते के सामने आने से हुई जिस पर रूस ने अपनी असहमति जताई और अपने नए साथी तलाशने शुरू कर दिए. लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद उसके यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईसा (European Space Agency ESA) के भी अंतरिक्ष संबंध खराब हो गए. अब ईसा ने एलन मस्क की स्पेस एक्स (Elon Musk’s SpaceX) से करार किया . क्या यह अंतरिक्ष के क्षेत्र में नए समीकरण के संकेत दे रहा है.

यूक्रेन युद्ध से एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी को सबसे ज्यादा फायदा होता दिख रहा है. उसने हाल ही ईसा के दो अंतरिक्ष प्रक्षेपणों का करार हासिल कर लिया है, जो शुरु में रूसी स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस के मिला था. ईसा ने बताया है कि वह स्पेस एक्स द्वारा निर्मित और विकसित फॉल्कन 9 हासिल करेगा जिससे वह यूक्लिड स्पेस टेलीस्कोप और हेरा प्रोब के प्रक्षेपण के लिए उपयोग में लाएगा. हेरा नासा के DART अंतरिक्ष यान के बाद का अभियान है. दोनों प्रक्षेपण रूस के सुयोज रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष पहुंचाए जाने थे.

युद्ध से खराब हुए संबंध
यह करार स्पेस एक्स को रूस और पश्चिमी देशों के संबंध खराब होने के बाद मिला है जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई समय से चल रहे हैं. इसके बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं, तो वहीं रूस ने यूरोप के अपनी प्रक्षेपण सेवाएं देने से इनकार कर दिया जिससे मंगल के लिए संयुक्त अभियान सहित कई अभियान अटक गए थे.


अगले दो सालों में होगा यह प्रक्षेपण
अमेरिका और यूरोप सहित पश्चिमी देशों ने रूस प्रतिबंध लगा कर उसने सैन्य आधुनिकरण प्रक्रिया और अंतरिक्ष अनुसंधान की गति को कम करने का प्रयास किया है. ईसा के डायरेक्टर जनरल जोसेफ एस्चबैचर का कहना है कि यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों ने तय किया है कि यूक्लिड और हेरा को फॉल्कन 9 से प्रक्षेपित किया जाए. यह प्रक्षेपण 2023 और 2024 के बीच में होने की उम्मीद है.

जापान और भारत भी थे उम्मीदवार
इस दौड़ में स्पेस एक्स के अलावा जापान और भारत भी उम्मीदवार थे. लेकिन एक समस्या और भी सुलझानी थी. यूरोपीय अभियान सुयोज रॉकेट के अनुकूल विकसित किए थे. अब प्रक्षेपण यान बदलने से कई तकनीकी संयोजनों में बदलाव करना होगा. इसका साफ मतलब है कि ईसा और रोसकोस में इस मामले को लेकर किसी भी तरह की वापसी करना संभव नहीं है.

पिछले दशक तक था बहुत सहयोग
रूस यूक्रेन युद्ध ने पश्चिम और रूसके बीच की दीवार को स्पष्ट और गहरा करने का काम कर दिया है. राजनैतिक रूप से यहखाई बहुत बड़ी और गहरी है ही, लेकिन अंतरिक्ष सहयोग में भी इसका असर साफ दिखाई दे रहा है. पिछले दो दशकों से इंटरनेशनस स्पेस स्टेशन में रूस और अमेरिका आपस काफी सहयोग कर रहे थे.

पहले था सहयोग था अब बढ़ रही हैं दूरियां
लेकिन पिछले दशक के अंत में अमेरिका ने चंद्रमा पर खनन के लेकर आर्टिमिस समझौते का ऐलान किया जिसे रूस ने अनुचित बता कर खारिज कर दिया था. यहीं से रूस और अमेरिका के बीच की दूरियां बढ़ने लगीं. इस बीच अमेरिका अंतरिक्ष प्रक्षेपण में निजी क्षेत्र की मदद से आत्मनिर्भर हो गया और रूस पर उसकी निर्भरता भी खत्म हो गई. यूक्रेन विवाद के बाद से रूस से पश्चिमी देशों की खटास बढ़ गई और रूस ने ऐलान कर दिया है कि वह साल 2024 के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का हिस्सा नहीं रहेगा.

वॉयजर 2 के पुराने आंकड़ों में मिला यूरेनस का गायब हो चुका धूल का छल्ला
रूस अब खुद के स्पेस स्टेशन तैयार कर रहा है. अमेरिका से दूरी के कारण वह चीन के करीब जा रहा है और दुनिया में अपने नए सहयोगी तलाश रहा है. वहीं दूसरी तरफ ईसा अमेरिका के ज्यादा करीब जा रहा है और अमेरिका आर्टमिस समझौते के दायरे में ज्यादा से ज्यादा देशों को लाने की कोशिश कर रहा है. बेशक अंतरिक्ष मामलों में पिछले दशक की तुलना में माहौल बहुत बदल गया है और बदल रहा है.

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