प्रधानमंत्री मोदी ने चमोली जिले के माणा गांव में विभिन्न संपर्क परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस दौरान उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक बीते आठ वर्षों में उनकी सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने के कार्य में अभूतपूर्व विस्तार दिया है। 2014 से अबतक सीमा क्षेत्र में 7 हजार किमी की नई सड़कों का निर्माण हुआ है जिसमें पुल और टनल का काम भी तेजी से हो रहा है। उनकी सरकार ने सीमा पर सड़क बनाने के लिए केन्द्र से अनुमति लेने की बाध्यता समाप्त कर दी है। उत्तराखंड और हिमाचल में रोपवे का काम तेजी से शुरू हो गया है। वे चाहते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास का काम उत्सव बने और यहां से छोड़कर गए लोगों का गांव लौटने का मन कर करे। उन्होंने ऐसा ही गुजरात में किया।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार प्रयास कर रही है कि बार्डर के गांवों में कुछ न कुछ होना चाहिए। हम प्रयास कर रहे हैं कि लोग बद्री विशाल से माणा पास गए बिना लौटें नहीं। उनकी अपेक्षा है कि हिमाचल के लोग भी उत्तराखंड के विकास को देखते हुए डबल इंजन सरकार की प्रेरणा लेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आस्था के केंद्र केवल एक ढांचा नहीं बल्कि हमारे लिए प्राण वायु की तरह है। वह शक्तिपुंज की तरह है जो कठिन परिस्थितियों में भी हमें जीवंत बनाए रखते हैं। अयोध्या में भव्य राममंदिर बन रहा है। गुजरात के पावागढ़ में मां कालिका के मंदिर से लेकर विन्ध्याचल देवी के कॉरिडोर तक भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है। उन्होंने कहा कि आस्था और आध्यात्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण जैसे एक महत्वपूर्ण पक्ष पर कभी चर्चा नहीं होती। यह पक्ष है पहाड़ के लोगों के जीवन में आसानी लाना और युवाओं को रोजगार देना। लोगों के जीवन को भी आसानी मिलती है। प्रधानमंत्री ने पर्यटकों से अपील की कि वह अपने पर्यटन खर्च का 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माणा गांव को भारत के अंतिम धाम के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनके लिए सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव है। उन्होंने कहा कि पहले सीमावर्ती गावों के लोगों की अपेक्षाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता था अब हमने उनको साथ लेकर प्रगति के महान लक्ष्य की ओर बढ़ने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, “पहले देश के विकास में जिनके योगदान को महत्व नहीं दिया गया, हमने उन्हीं को साथ लेकर प्रगति के महान लक्ष्यों की ओर बढ़ने का संकल्प लिया। पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से समृद्धि का आरंभ मानकर काम शुरू किया। पहले देश का आखिरी गांव जानकर जिसकी उपेक्षा की जाती थी, हमने वहां के लोगों की अपेक्षाओं पर फोकस किया।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ड्रोन के जरिए उत्पादों को पहाड़ों पर सामान पहुंचाने के काम में भी लगी हुई है। चार लैन का एक्सप्रेस-वे दिल्ली और उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड से जोड़ रहा है। दिल्ली से देहरादून का आर्थिक गलियारा बिजनेस संभावनाओं को बढ़ाएगा। हिमालय की हरी-भरी पहाड़ियों पर रेलगाड़ी की आवाज उत्तराखंड के विकास की नई गाथा लिखेगी। भारतमाला और सागरमाला कनेक्टिविटी परियोजनाओं की तरह, पर्वतमाला के लिए काम चल रहा है जिसके तहत उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में रोपवे परियोजनाओं का एक बड़ा नेटवर्क बनाया जा रहा है। देहरादून एयरपोर्ट भी अब नए अवतार में सेवा दे रहा है। विकास परियोजनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गौरीकुंड से केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक आरोग्य योजना न केवल संपर्क सुविधाएं बढ़ाएंगी बल्कि आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं को प्रोत्साहित भी करेगी।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम में आदि गुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के दर्शन किए। साथ ही केदारनाथ धाम में विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण में योगदान देने वाले श्रमिकों से संवाद किया। इसके बाद उन्होंने श्री बद्रीनाथ मन्दिर में दर्शन एवं पूजा-अर्चना की। एजेंसी/हिस
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