नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की उत्तराखंड यात्रा पर हैं. पीएम मोदी आज सुबह केदारनाथ धाम गए और वहां पूजा अर्चना कर 1267 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले गौरीकुण्ड-केदारनाथ रोपवे की आधारशिला रखी. इसके बाद पीएम मोदी बदरीनाथ गए और फिर माणा गांव में कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये दशक, उत्तराखंड का दशक है. मैं नई परियोजनाओं और नए संकल्प के साथ उत्तराखंड आया हूं. उन्होंने कहा कि सीमा पर बसे गांव देश के प्रहरी हैं.
पीएम मोदी ने कहा, ”आज बाबा केदार और बद्री विशाल जी के दर्शन करके मन प्रसन्न हो गया, जीवन धन्य हो गया. माणा गांव, भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है, लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव, देश का पहला गांव है और देश का प्रहरी है.” उन्होंने कहा, ”21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं. पहला- अपनी विरासत पर गर्व, दूसरा- विकास के लिए हर संभव प्रयास.”
आजादी के बाद सालों तक देश को गुलामी ने जकड़ा- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आगे कहा, ”देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर मैंने लाल किले पर एक आवाहन किया. ये आवाहन है गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति का. ऐसा इसलिए, क्योंकि आजादी के इतने सालों बाद भी हमारे देश को गुलामी की मानसिकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है कि प्रगति का कुछ कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है.”
आस्था के केंद्र सिर्फ ढांचा नहीं, हमारे लिए प्राणवायु की तरह- मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ”विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे, लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था. आस्था के ये केंद्र सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि हमारे लिए प्राणवायु की तरह हैं. वो हमारे लिए ऐसे शक्तिपुंज हैं, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें जीवंत बनाए रखते हैं.”
अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा भारत- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ”विकास के सभी प्रोजेक्ट्स के लिए, उत्तराखंड को और देश-विदेश के हर श्रद्धालु को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं. गुरुओं की कृपा बनी रहे, बाबा केदार की कृपा बनी रहे, बद्री विशाल की कृपा बनी रहे. हमारे सभी श्रमिक साथियों को भी शक्ति मिले, यही प्रार्थना करते हैं. अयोध्या में इतना भव्य राममंदिर बन रहा है, गुजरात के पावागढ़ में मां कालिका के मंदिर से लेकर विन्ध्याचल देवी के कॉरिडोर तक, भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है.”
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