इंदौर। स्थानीय चुनाव में कांग्रेस के आदिवासी वोट बैंक को भेदने में कामयाब हुई भाजपा इसे विधानसभा चुनाव के लिए अच्छा संकेत मान रही है। यहां की 1 नगर पालिका और 3 नगर परिषदों में भाजपा अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाब हो गई।
मेघनगर में भी पहले चरण में भाजपा अपना अध्यक्ष बना चुकी है। विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अभी से आदिवासी वोट बंैक को लेकर चिंतित है। झाबुआ जिले की जवाबदारी भाजपा ने इंदौर के नेता हरिनारायण यादव को सौंपी थी और उन्हें संगठन प्रभारी बनाकर भेजा गया था। दूसरे दौर में यहां झाबुआ नगर पालिका और पेटलावद, थांदला तथा राणापुर जैसी नगर परिषद में चुनाव हुए और चारों में भाजपा का अध्यक्ष चुना गया। 16 अक्टूबर को झाबुआ में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ।
भाजपा के पास 9 सीटें थीं तो कांग्रेस के पास 6 सीटें और 3 निर्दलीय थे। यहां भाजपा की कविता सिंगार अध्यक्ष पद पर काबिज हो गईं। वहीं 17 अक्टूबर को पेटलावद का चुनाव हुआ, जहां भाजपा के पास 7 और इतने ही 7 पार्षद निर्दलीय थे, जबकि कांग्रेस का एकमात्र पार्षद था। यहां से ललिता योगेश मामड़ को अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। 18 अक्टूबर को थांदला में लक्ष्मी पणवा को अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। यहां कांग्रेस के पास मात्र 3 सीटें थीं और भाजपा के पास 8। यहां 4 निर्दलीय भी थे। 19 अक्टूबर को राणापुर में एकतरफा भाजपा की दीपमाला नलवाया अध्यक्ष पद के लिए चुन ली गईं। पूरे जिले में सर्वाधिक 11 पार्षद यहीं से थे। विदित है कि झाबुआ जिले में तीनों विधायक कांग्रेस के हैं, जिनमें आदिवासियों के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया, वालसिंह मेड़ा और वीरसिंह भूरिया शामिल हैं। वहीं जयस संगठन होने से भी भाजपा को चुनौती मिलती रही है। बताया जा रहा है कि जिस तरह की राजनीति आदिवासी क्षेत्रों में चल रही थी, उससे अलग हटकर संगठन की ओर से भेजे गए यादव ने वहां यूथ पर फोकस किया और उसके सकारात्मक परिणाम आए।
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