नई दिल्ली । दुनिया भर में कचरे के साथ साथ ई-कचरा (E-waste) यानी इलैक्ट्रोनिक सामानों (electronic goods) का कचरा भी बढ़ता जा रहा है. जानकारों के अनुसार इस साल करीब 5.3 अरब से अधिक मोबाइल फोन (mobile phone) बेकार हो जाएंगे, जिसकी वजह से इस कचरे के और भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं. बता दें कि मोबाइल बनाने वाली कंपनी बेकार डिवाइसों से निकाले गए सोने, तांबे, चांदी, पैलेडियम जैसे मूल्यवान कम्पोनेंट्स को रीसाइकल करते हैं. इसको देखते हुए विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस साल लगभग 5.3 बिलियन मोबाइल फोन इस्तेमाल से बाहर हो जाएंगे. इनमें से अधिकतर डिवाइसों को कचरे में फेंक दिया जाता है.
एक नए ग्लोबल सर्वे के अनुसार, आज औसत परिवार में तकरीबन 74 ई-प्रोडक्ट मौजूद हैं. इन प्रोडक्ट्स में फोन, टैबलेट, लैपटॉप, बिजली के उपकरण, हेयर ड्रायर, टोस्टर और अन्य डिवाइस शामिल हैं. लेकिन इनमें से 13 डिवाइस इस्तेमाल में नहीं होते हैं. आंकड़ों के अनुसार अकेले 2022 में, दुनिया भर में उत्पादित सेल फोन, इलेक्ट्रिक टूथब्रश, टोस्टर और कैमरों जैसी छोटी वस्तुओं का अनुमानित वजन कुल 24.5 मिलियन टन होगा. जोकि गीज़ा के महान पिरामिड के वजन के चार गुने के बराबर है.
यूएनआईटीएआर के सस्टेनेबल साइकल प्रोग्राम के वरिष्ठ वैज्ञानिक और ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. कीस बाल्डे के अनुसार, हर देश में ई-वैस्ट की रीसाइकल के लिए वापसी की दरें अलग-अलग हैं. लेकिन ग्लोबल लेवल पर कुल इलेक्ट्रॉनिक कचरे का सिर्फ 17% ई-कचरा ही इकट्ठा किया जाता है, और इसे रिसाइकल किया जाता है.
खतरनाक प्रदूषण का कारण बनते हैं ये मोबाइल
रिपोर्ट्स के अनुसार कई डिवाइस लैंडफिल में दौरान समाप्त हो जाते हैं, लेकिन इनके कारण खतरनाक प्रदूषण फैलता है. इसके अलावा भारी मात्रा में धातुओं और खनिजों, जैसे तांबा और पैलेडियम की बर्बादी होती है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, बाल्डे ने बताया कि मोबाइल फोन के उत्पादन में शामिल खनन, शोधन और प्रसंस्करण, पूरे जीवन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 80% हिस्सा उत्पादन करते हैं. बाल्डे ने कहा कि, हेडफ़ोन, रिमोट कंट्रोल, घड़ियां, लोहा, हार्ड ड्राइव, राउटर, कीबोर्ड और माउस के साथ, मोबाइल फोन ऐसे अतिसंवेदनशील डिवाइस होते हैं, जोकि इस ई-कचरे में शामिल होते हैं.
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