चेन्नई । तमिलनाडु (Tamil Nadu) की राजनीति में अम्मा और चिनम्मा की दोस्ती की कभी मिसाल दी जाती थी. अम्मा यानी कि पूर्व सीएम जयललिता (Jayalalithaa) और चिनम्मा यानी कि तमिल राजनीतिक का एक और कद्दावर चेहरा शशिकला (sasikala). चिनम्मा जयललिता की सबसे खास सहेली थीं. लेकिन जयललिता की इस खास सहेली पर उनकी मौत के बाद बेहद गंभीर आरोप लगे हैं.
जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच कर रही कमीशन ने शशिकला की ओर इशारा किया है और गंभीर आरोप लगाए हैं.
जयललिता ने शशिकला को बाहर का रास्ता क्यों दिखाया
जांच कमीशन ने अपने 475 पन्नों की रिपोर्ट में 4 व्यक्तियों पर उंगली उठाई है. इनमें शशिकला, मेडिकल डॉक्टर के एस शिवकुमार, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भास्कर और तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन शामिल हैं. कमीशन ने इनके खिलाफ जांच की मांग की है.
जांच पैनल ने कहा है कि यह बहुत स्पष्ट था कि “बेहद तगड़े संदेह पर ही” जयललिता ने शशिकला को अपने पोएस गार्डन निवास (नवंबर 2011 से मार्च 2012 तक) से बाहर भेज दिया था.
बाद में शशिकला से इस भरोसे की चिट्ठी मिलने के बाद कि वो राजनीति में दखल नहीं देगी, जयललिता ने उसे पोएस गार्डन में आने की अनुमति दी. बावजूद इसके जयललिता ने शशिकला से ‘एक निश्चित दूरी’ कायम रखी.
गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए पैनल ने कहा कि यह ‘अनुमान’ लगाया जा सकता है कि कुछ तनावपूर्ण संबंधों के कारण, जयललिता ने शशिकला और उनके रिश्तेदारों को पोएस गार्डन छोड़ने के लिए कहा होगा.
बता दें कि 2016 में बीमार होने के बाद जयललिता 75 दिनों तक चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती रही थीं. उन्हें 22 सितंबर 2016 को उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया था. डॉक्टरों के अनुसार जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2016 को रात 11.30 बजे चेन्नई के अपोलो अस्पताल में हुआ था.
जयललिता की मौत के वक़्त की परिस्थितियों की जांच के लिए तत्कालीन सरकार ने जस्टिस ए अरुमुगास्वामी की अगुवाई में एक कमीशन का गठन किया गया था. इस कमीशन की रिपोर्ट को मंगलवार को राज्य विधानसभा में पेश किया गया.
जांच कमीशन ने अस्पताल पर भी उंगली उठाई है. कमीशन की आपत्ति जयललिता की मृत्यु के समय को लेकर है. इसके अलावा सिफारिश की गई सर्जरी पर अमल नहीं करने और विदेश में उनका इलाज कराने का समर्थन नहीं करने को लेकर है.
सिफारिश के बावजूद नहीं की गई सर्जरी
अपोलो में इलाज के दौरान अमेरिका के एक कार्डियो सर्जन डॉ समीन शर्मा ने जयललिता को एक बेहद अहम कार्डिक सर्जरी कराने की सलाह दी थी. डॉक्टर के मुताबिक ये सर्जरी उनकी जान बचाने के लिए जरूरी थी. डॉ शर्मा ने 25 नंवबर 2016 को जयललिता की जांच की थी. तब जयललिता होश में थी और उन्होंने सर्जरी कराने के लिए हामी भी भर दी थी.
लेकिन ये सर्जरी नहीं की गई. ऐसा तब हुआ जब ब्रिटेन के एक डॉक्टर ने कहा कि सर्जरी की जरूरत नहीं है. जांच कमीशन ने हैरानी जताई है कि जब डॉ शर्मा सर्जरी को लेकर आश्वस्त थे तो फिर बीच में ब्रिटेन से डॉक्टर को लाने की क्यों जरूरत पड़ गई.
अस्पताल के डॉक्टरों ने चली चाल
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इन परिस्थितियों को देखते हुए जांच कमीशन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अस्पताल के डॉक्टर ने ‘ एक चाल चली’ (played a trick) और एंजियोग्राफी को बायपास कर दिया ताकि ‘शक्ति के कुछ केंद्रों को’ (some power centre) कन्वींस किया जा सके. इसी बीच एक डॉक्टर ने राय दी कि सर्जरी को टाला जा सकता है.
शशिकला के कहने पर ही डॉक्टर आगे बढ़ते थे
जांच कमीशन कहता है कि शशिकला एक मात्र व्यक्ति थीं जिनसे डॉक्टर संपर्क कर रहे थे और सलाह ले रहे थे. कमीशन के अनुसार अपोलो अस्पताल के डॉक्टर इलाज के दौरान शशिकला की सहमति के बाद ही इलाज की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते थे.
संदेह के घेरे में डेथ की टाइमिंग
जांच कमीशन ने जयललिता की मौत की टाइमिंग पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं और जांच के निष्कर्ष पर इसका व्यापक असर बताया है. जयललिता की मौत का आधिकारिक समय 5 दिसंबर 2016 11.30 बजे रात को बताया गया है.
लेकिन जांच कमीशन ने पैरामेडिकल स्टाफ के बयानों के हवाले से कहा है कि इसमें व्यापक विसंगतियां हैं. नर्सों, तकनीशियनों और ड्यूटी डॉक्टरों का ये स्पष्ट कहना था कि जयललिता को 4 दिसंबर, 2016 को दोपहर बाद 3.50 बजे से पहले कार्डिक फेलियोर हुआ था और उनके ह्रदय में कोई इलेक्ट्रिक एक्टिविटी नहीं हो रही थी और न ही ब्लड सर्कुलेशन हो रहा था.
रिपोर्ट के अनुसार जयललिता को CPR देर से दिया गया था. दावा किया गया है कि उन्हें 4.20 मिनट पर CPR दिया गया था.
इससे पता चलता है कि 4 दिसंबर, 2016 को दोपहर बाद 3.50 बजे ही उनका निधन हो गया था और सीपीआर और स्टर्नोटॉमी की कोशिशें व्यर्थ थीं. और इन घटनाओं को उनकी मृत्यु की आधिकारिक घोषणा में हुई देरी को जस्टिफाई करने के लिए एक चाल के रूप में इस्तेमाल किया गया.
जांच कमीशन की इस रिपोर्ट का राजनीतिक महत्व भी है. क्योंकि इसमें ओ पन्नीरसेल्वम को भी घेरे में लिया गया है. ओ पन्नीरसेल्वम को अभी AIADMK से निलंबित कर दिया गया है. वे अभी शशिकला को सपोर्ट करते हैं.
ओ पन्नीरसेल्वम जांच के दौरान चल रही घटनाओं के इनसाइडर थे. वे इनर सर्कल का हिस्सा थे और जयललिता की जांच से जो कुछ भी जुड़ा था वो उनकी जानकारी में था. जयललिता की मृत्यु के बाद ओ पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु के सीएम बने.
जांच का सामना करने को तैयार
शशिकला ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि मैं रिपोर्ट में मेरे खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से इनकार करती हूं. मैंने जे जयललिता के मेडिकल ट्रीटमेंट में कभी हस्तक्षेप नहीं किया. मैं इस पर एक जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं.
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