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    दुबई से आने वाले दो प्रतिशत यात्रियों के लिए कोरोना टेस्ट अभी भी अनिवार्य, एयरपोर्ट प्रबंधन को नहीं मिल रही जांच करने वाली लैब

  • October 18, 2022

    इंदौर। कोरोनाकाल (Covid Period) में भारत में विदेशों से आने वाले यात्रियों (Pessanger) से कोरोना (Corona) का खतरा देखते हुए केंद्र सरकार ने 24 से ज्यादा देशों से आने वाले सभी यात्रियों और शेष देशों से आने वाले 2 प्रतिशत यात्रियों की कोरोना जांच अनिवार्य की थी। कोरोना का खतरा खत्म हो जाने के बाद भी सरकार ने इस नियम को नहीं बदला है और यह नियम अब भी लागू है, लेकिन अब एयरपोट्र्स के लिए इन टेस्ट को करवाना चुनौती बनता जा रहा है। इंदौर एयरपोर्ट पर ही दुबई से आने वाली फ्लाइट के दो प्रतिशत यात्रियों की जांच के लिए प्रबंधन को दो माह से कोई लैब या कंपनी नहीं मिल रही है। इसके चलते पहले से काम कर रही लैब का ही समय बढ़ाया जा रहा है। प्रबंधन ने दोबारा इसके टेंडर जारी किए हैं, जो आज खुलेंगे, वहीं इस जांच के कारण एयरपोर्ट पर हर बार यात्रियों से विवाद की स्थिति भी बन रही है।

    उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2021 में कोरोना का असर कम होने पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लगी रोक को हटा दिया था। पहले जारी गाइड लाइन में दुनिया के 19 से ज्यादा देशों को रिस्क कंट्री की सूची में रखा गया था, जहां से आने वाले हर एक यात्री को भारत आने पर एयरपोर्ट पर ही रेपिड या आरटीपीसीआर टेस्ट करवाना जरूरी था और रिपोर्ट आने तक एयरपोर्ट पर ही रुकना होता था, वहीं इस सूची के बाहर के अन्य देशों से आने वाले यात्रियों में से 2 प्रतिशत का एयरपोर्ट पर टेस्ट किया जाना जरूरी था, साथ ही विदेश से आने वाले सभी यात्रियों को सात दिनों तक क्वारंटीन में रहना भी जरूरी था। फरवरी 2022 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नई गाइड लाइन में मंत्रालय ने रिस्क कंट्री की सूची को खत्म करने के साथ ही सभी यात्रियों की जांच के नियम को भी खत्म करते हुए विदेशों से भारत आने वाली हर फ्लाइट के सिर्फ 2 प्रतिशत यात्रियों की ही एयरपोर्ट पर जांच जरूरी की थी। देश में कोरोना का असर खत्म होने के बाद भी यह नियम अब भी लागू है। इस नियम के तहत दुबई से आने वाली फ्लाइट के यात्रियों की जांच के लिए एयरपोर्ट अथोरिटी ने जिस लैब को जांच का कांट्रेक्ट दिया था, वह 30 सितंबर को खत्म हो चुका है। इस दौरान एयरपोर्ट अथोरिटी ने टेंडर जारी किया, लेकिन कोई कंपनी सामने नहीं आई। इसे देखते हुए प्रबंधन ने पहले से काम कर रही लैब का समय एक माह के लिए बढ़ाने के साथ ही दोबारा टेंडर जारी किए हैं। ये टेंडर आज खुलेंगे। बताया जा रहा है कि कुछ लैब ने इसमें रुचि दिखाई है।


    पूरे माह में सिर्फ चार फ्लाइट, 10 से 12 यात्रियों की जांच

    बताया जा रहा है कि इस काम के लिए कोई भी लैब इसलिए आगे नहीं आती है, क्योंकि इंदौर में सप्ताह में एक ही दिन दुबई से फ्लाइट आती है। इसमें औसत 120-130 यात्री इंदौर आते हैं। यह फ्लाइट भी शनिवार देर रात इंदौर आती है। इस तरह पूरे माह में सिर्फ चार फ्लाइट के 10 से 12 यात्रियों की जांच के लिए लैब को रात को अपने स्टाफ की व्यवस्था एयरपोर्ट पर करना पड़ती है। जांच के 200 से 250 रुपए लिए जाते हैं। यानी पूरे महीने के ढाई से तीन हजार रुपए मिलते हैं और इससे ज्यादा खर्च हो जाता है। इसलिए कोई लैब इस काम को करने में रुचि नहीं दिखा रही है। अधिकारियों का कहना है कि शासन को अब इस नियम को भी खत्म कर देना चाहिए।

    यात्री हमेशा करते हैं विवाद

    इस जांच के लिए दुबई फ्लाइट से आने वाले यात्रियों में से 2 प्रतिशत यात्रियों का चयन एयर लाइंस को रेंडम आधार पर करना होता है। जिस भी यात्री को जांच के लिए चुना जाता है, वह इस बात से नाखुश होकर विवाद करता है। जांच के लिए चुने गए यात्रियों का कहना होता है कि उन्हें ही क्यों चुना गया, वो फिट हैं तो जांच क्यों करवाएं और जांच का पैसा क्यों चुकाएं। इससे एयर लाइंस के साथ ही एयरपोर्ट के अधिकारी और लैब के लोग भी परेशान होते हैं।

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