भोपाल। देश में पहली बार मध्यप्रदेश में MBBS की पढ़ाई हिन्दी (MBBS study Hindi in Madhya Pradesh) में होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने भोपाल में रविवार को इसकी 3 किताबों का विमोचन किया। अमित शाह ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को छात्रों की तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। उन्होंने नई शिक्षा नीति (new education policy) में मातृभाषा को बढ़ावा देकर ऐतिहासिक निर्णय किया है। मोदी ने तमिल, तेलगु, बंगाली और गुजराती सभी भाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा उपलब्ध कराने का जो आह्वान किया है, उस पर मुझे आज गर्व होता है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार (Shivraj government in Madhya Pradesh) ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू करके मोदी की इच्छा पूरी की है।
उन्होंने कहा, कुछ समय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू होंगी। देश भर में आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के लिए अनुवाद शुरू हो चुका है। कुछ ही समय में देश के सभी विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में टेक्निकल और मेडिकल एजुकेशन की पढ़ाई करेंगे। आज मैं यहां पर जो लोग मेडिकल और इंजीनियरिंग के हिंदी में कराने के समर्थक हैं, उनको कहना चाहता हूं कि आज से टेक्निकल और मेडिकल एजुकेशन की शिक्षा मिलेगी। अब अपनी ही भाषा में रिसर्च भी करेंगे।
मध्यप्रदेश में चुनाव हो रहा था। घोषणा पत्र में जिक्र था कि मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करेंगे। जब शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी तो सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षा नीति को अच्छे ढंग से प्रदेश ने जमीन पर उतारा है। आज यह नई शुरुआत हो रही है।
गृह मंत्री ने कहा, किसी भी इंसान के सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में हाती है। इसलिए अफ्रीका के महान नेता नेल्सन मंडेला ने कहा था कि यदि आप किसी व्यक्ति से उस भाषा में बात करते हो जिसको वो समझता है तो वह उसके दिमाग में जाती है। लेकिन यदि मातृभाषा में बात करते हैं तो वह उसके दिल में चली जाती है। इसलिए दुनियाभर में शिषा विदों ने मातृभाषा पर जोर दिया। क्योंकि सोचने की प्रक्रिया, विश्लेषण की प्रक्रिया, तर्क की प्रक्रिया हमारा मन हमारी मातृभाषा में ही करता है। यदि पढ़ाई लिखाई और अनुसंधान मातृभाषा में हो तो मुझे भरोसा है कि भारत के विद्यार्थी किसी से भी कम नहीं हैं।
शाह ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति के माध्यम से हमारी मातृभाषा को महत्व देना शुरू हुआ है। नीट, जेईई और यूजीसी देश की 22 भाषाओं में परीक्षा देने की व्यवस्था की है। कॉमन यूनिवर्सिटी इंटर टेस्ट 13 भाषाओं में दे सकते हैं। 10 राज्यों ने इंजीनियरिंग को भारतीय भाषा तमिल, तलगू, मराठी, बंगाली और गुजराती में अनुवाद करने की कार्रवाई चल रही है। अपनी भाषा में पढ़ाई से क्षमता बढ़ने वाली है। भाषा के कारण हीन भावना सहन करने या पालने की जरूरत नहीं है। इस देश में अब नरेंद्र मोदी की सरकार है। अपनी भाषा में अब आप बहुत अच्छे से प्रदर्शन कर सकते हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री के संकल्प को मध्यप्रदेश पूरा करेगा। बच्चों से कहना चाहता हूं कि लंबी उड़ान भरो, खूब पढ़ो। हमने चलने वाले शब्दों को वैसे ही रखा। यकृत को यकृत ही कहा जाएगा। इसी साल 6 इंजीनियर और बाद में हमारी कोशिश होगी कि प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से अमित शाह राजभाषा समिति के अध्यक्ष हैं, उनके आशीर्वााद से आईआईएम और आईआईटी की पढ़ाई भी हिंदी में कराएंगे। मातृभाषा में जो पढ़ाई करेंगे उनकी मेरिट लिस्ट भी अलग से बनाई जाएगी। वो बढ़ेंगे और गांव में भी गावों में जाएंगे। हिंदी वाले जाएंगे तो इलाज भी अच्छा करेंगे। मुझसे किसी ने पूछा कि दवाई का नाम कैसे लिखेंगे। मैंने लिखा, आरएक्स को श्रीहरि लिखो। क्या दिक्कत है।
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