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    जिनपिंग की ताजपोशी को लेकर दुनिया में टेंशन, जानिए कारण

  • October 16, 2022

    वीजिंग। चीन के मौजूदा राष्ट्रपति (China President) के रूप में शी जिनपिंग (Xi Jinping) की ताजपोशी से पहले कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने उनके समर्थन के लिए पूरी तैयारी कर ली है। आपको बता दें कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की महत्वपूर्ण 20वीं कांग्रेस आज यानि रविवार से शुरू होगी। 22-23 अक्टूबर को शी जिनपिंग (Xi Jinping) को आधिकारिक रूप तीसरी बार राष्ट्रपति (President) घोषित कर दिया जाएगा। इसमें चीन सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी, लेकिन राष्ट्रपति के तौर पर शी जिनपिंग के रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दी जाएगी। इससे सर्वोच्च पद पर 10 साल के कार्यकाल का तीन दशक पुराना नियम भी समाप्त हो जाएगा।

    दूसरी तरफ चीन के मौजूदा राष्ट्रपति के रूप में शी जिनपिंग की फिर ताजपोशी को लेकर दुनियाभर में टेंशन बढ़ने लगी है। जिनपिंग की ताजपोशी अमेरिका जैसे सुपर पावर मुल्क को नश्तर की तरह चुभ रही है। जापान से लेकर ताइवान और दक्षिण कोरिया से लेकर हांगकांग…ये मुल्क क्यों टेंशन में है।



    पहला कारण यह है कि साउथ चाइना सी 35 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। समुद्र के इस टुकड़े पर करीब 250 छोटे बड़े द्वीप हैं. ये इलाका हिंद और प्रशांत महासागर के बीच है, जो चीन, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और फ़िलीपीन्स से घिरा है। सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 1939 से लेकर 1945 तक साउथ चाइना सी के इस पूरे इलाके पर जापान का कब्जा था। जापान जंग हारा तो चीन ने समुद्र के इस टुकड़े पर कब्जा जमा लिया। दशकों से चीन साउथ चाइना सी पर अपना दावा ठोकता आया है. चीन के लिए समुद्र का ये टुकड़ा यूं हीं अहम नहीं है. इसके पीछे ठोस आर्थिक वजह हैं. एक वजह है साउथ चाइना के वो खनिज जिन पर चीन गिद्द की नजर दशकों से गढ़ाए बैठा है. जिसे लेकर साउथ चाइना सी में चीन को अमेरिका की मौजूदगी भी अखरती रही है।

     

    दशकों से चीन की दादागीरी साउन चाइना सी के लहरों पर दुनिया देखती और झेलती आई है. खासकर जिनपिंग सत्ता में आने के बाद। साउथ चाइना सी में बारूद और धधकता रहा है। जिनपिंग की ताजपोशी से ये आक्रामता और बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन साउथ चाइना सी में किसी का दखल नहीं चाहता इसकी वजह भी हैं।
    सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में होने वाले व्यापार का 80 फीसदी समुद्री मार्ग से होता है और इस व्यापार का करीब एक तिहाई साउथ चाइना सी से हो कर गुजरता है। साउथ चाइना सी से सालाना करीब 3.37 ट्रिलियन डॉलर का बिजनेस होता है। साउथ चाइना सी में खनिज संपदा का अंबार है।

    टेंशन कारण यह है कि जिनपिंग की ताजपोशी से ताइवान तक टेंशन में है ऐसा इसलिए क्योंकि चीन और ताइवान के बीच की तल्खी बहुत पुरानी है. चीन ताइवान पर अपना हक जमाता आया है। जिनपिंग के सत्ता में आते ही ताइवान में खौफ के हूटर कई बार बजे 10 सालों में जाने कितनी बार रेड आर्मी के फाइटर जेट ताइवान की फिजाओं में दहशत भर चुके हैं। यूक्रेन वॉर के बाद चीन की आक्रामकता और बढ़ी।

    जबकि‍ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये कह चुके हैं कि चीन के हमले की स्थिति में अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइन के 20वें अधिवेशन के पहले दिन शी जिनपिंग ने ताइवान के मुद्दे पर जोर देकर कहा कि वह ताइवान में विदेशी दखल बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगर शी जिनपिंग की ताजपोशी होती है तो अमेरिका और चीन के बीच ताइवान के मुद्दे पर टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है, जो कि पूरी दुनिया के लिए किसी बड़ी खतरे से कम नहीं है।

    चीन में सत्ता, संविधान और सरकार जिनपिंग के नाम से ही शुरू होती है और इसी नाम पर खत्म। जिनपिंग की ताजपोशी भारत के लिए खतरे की घंटी है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 10 सालों में चीन की दादागीरी की पूरी पिक्चर भारत ने देखी भी और झेली भी। जिनपिंग के सत्ता में रहते हुए एलएसी पर पहली बार हिंसक झड़प हुई. इसी के साथ 40 साल में पहली बार एलएसी पर गोली चली. सर्दियों में भी एलएसी पर फौज तैनात रही। लद्दाख से अरुणाचल तक चीन साजिश करता रहा. वहीं 2020 में गलवान में चीनियों पर हुए गर्दनतोड़ प्रहार के बाद एलएसी पर कई बार टकराव के हालात बनते रहे हैं। लद्दाख में पैंगोंग लेक पर पुल बनाने से लेकर अरूणाचल में सरहद के करीब तक रेल नेटवर्क तैयार करना चीन की साजिशों का सबूत है।

    जिनपिंग की ताजपोशी से दुनिया ही नहीं खुद चीनियों के होश फाख्ता हैं। जिसका बिगुल तक बीजिंग में बज चुका है. जिनपिंग की ताजपोशी के खिलाफ चीन में विद्रोह छिड़ा है। वहीं बगावत का फन बीजिंग में कुचला जाने लगा है।

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