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    ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट पर भारत सरकार ने जताई आपत्ति, कहा- गलत माप है

  • October 16, 2022

    नई दिल्ली। ग्लोबल हंगर इंडेक्स (global hunger index) की 2022 की रिपोर्ट पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है. केंद्र सरकार (Central government) की तरफ से इंडेक्स को लेकर खामियां गिनाई हैं और सवाल उठाए हैं. सरकार ने कहा है कि एक गलत माप है और गंभीर सवालों से ग्रस्त है. रिपोर्ट ना सिर्फ जमीनी हकीकत (ground reality) से अलग है, बल्कि जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा (food security) सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को जानबूझकर अनदेखा करती है.

    बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत (India) की रैंक पिछले साल से भी नीचे चली गई है. भारत इस बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 107वें स्थान पर है. भारत की रैंकिंग साउथ एशिया (South Asia) के देशों में सिर्फ अफगानिस्तान से बेहतर है. विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हंगर इंडेक्स में भारत से आगे पाकिस्तान और नेपाल (Pakistan and Nepal) जैसे देश हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में भारत 116 देशों की सूची में 101वें स्थान पर रहा था. भारत को उन 31 देशों की लिस्ट में रखा गया था जहां भूखमरी की समस्या गंभीर मानी गई थी.



    गलत सूचना जारी करना पहचान लगने लगी है
    अब ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2022 पर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) ने एक प्रेस नोट जारी किया है. जिसमें कहा है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स की सालाना जारी होने वाली गलत सूचना पहचान लगने लगी है. विभाग ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के उठाए गए कदमों के बारे में भी बताया.

    सरकार की छवि को खराब करने का निरंतर प्रयास
    भारत सरकार ने कहा कि ‘खाद्य सुरक्षा’ और अपनी आबादी की पोषण (nutrition of the population) संबंधी जरूरतों को पूरा नहीं करने वाले राष्ट्र के रूप में भारत की छवि को खराब करने के लिए एक निरंतर प्रयास फिर से दिखाई दे रहा है. आयरलैंड और जर्मनी (Ireland and Germany) के गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जारी ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2022 ने भारत को 121 देशों में 107 वें स्थान पर रखा है. हंगर इंडेक्स को गलत तरीके से मापा गया है और गंभीर कार्यप्रणाली दिखती है. इंडेक्स की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और पूरी आबादी के प्रतिनिधि नहीं हो सकते हैं. कुपोषित (पीओयू) आबादी के अनुपात का चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक अनुमान 3000 के बहुत छोटे नमूने के आकार पर किए गए एक जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है.

    सरकार के प्रयासों को नजरअंदाज किया गया
    ‘रिपोर्ट ना सिर्फ जमीनी हकीकत से अलग है, बल्कि सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है. विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित किया गया. एक आयामी दृष्टिकोण लेते हुए रिपोर्ट कुपोषितों के अनुपात के अनुमान के आधार पर भारत की रैंक को कम करती है. भारत की जनसंख्या 16.3% है.

    रिपोर्ट तैयार करने से पहले नहीं किया गया काम
    खाद्य असुरक्षा अनुभव स्केल (FIES) के माध्यम से ‘भारत के आकार के देश’ के लिए एक छोटे से नमूने से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग भारत के लिए PoU मूल्य की गणना करने के लिए किया गया है जो ना सिर्फ गलत है बल्कि अनैतिक भी है. एजेंसियों ने स्पष्ट रूप से रिपोर्ट जारी करने से पहले ठीक से काम नहीं किया है.

    विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना, पूछे सवाल
    ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग अफगानिस्तान के बाद साउथ एशिया रीजन में सबसे खराब है. इसे लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया है. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने सवाल किया है कि प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख और स्टंटिंग जैसे वास्तविक मुद्दों को लेकर कब संबोधित करेंगे? पी चिदंबरम ने कहा है कि भारत में 22.4 करोड़ लोग कुपोषित हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 121 देशों की लिस्ट में 107वें स्थान पर है. उन्होंने कहा है कि 19.3 फीसदी बच्चे वेस्टेड हैं और 35.5 फीसदी बच्चे स्टंटेड हैं. पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि हिंदुत्व और हिंदी को थोपना, नफरत फैलाना भूख की दवा नहीं है.

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