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    भारत की विदेश नीति का 10X3 मॉडल, जो दुनिया में बढ़ा रहा भारत की धाक

  • October 15, 2022

    नई दिल्ली: सामरिक तौर पर अपनी शक्ति बरकरार रखने के लिए भारत ने नई विदेश नीति पर काम शुरू कर दिया है, बड़ी आर्थिक ओर सैन्य शक्तियों पर ध्यान देने की बजाय भारत सरकार कैरेबियन, अफ्रीकन और दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे छोटे देशों पर ध्यान दे रही है, इस प्रक्रिया को सरकार का 10X3 मॉडल का जा रहा है, जिसका फोकस ऐसे देशों को अपने साथ जोड़ना है जो सैन्य और आर्थिक रूप से बेशक मजबूत न हो, लेकिन यूएन में वोट देकर किसी भी मुद्दे को भारत के पक्ष में मोड़ने की ताकत रखते हों.

    एक दौर था जब भारत रूस, अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ जैसे देशों से संबंध मजबूत करने की कोशिश में जुटा रहता था, लेकिन मोदी सरकार ने इस नीति को बदला और ज्यादा से ज्यादा देशों तक अपनी राजनयिक पहुंच बढ़ाने और सामरिक शक्त को मजबूत करने के लिए नई कूटनीति पर काम शुरू कर दिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर का सितंबर में न्यूयॉर्क दौरा इसकी पुष्टि भी कर रहा है, इस दौरे के दौरान यूएनजीए में हिस्सा लेने के अलावा जयशंकर नेफ्रांस, कोमोरोस और घाना के राष्ट्रपतियों से भी मुलाकात की थी वह यूक्रेन, सेंट विंसेट और ग्रेनेडाइंस के पीएम समेत 44 देशों के विदेश मंत्रियों और एंटोनियो गुटेरेस समेत यूएन के कई बड़े अधिकारियों से भी मिले थे, यह एक बहुत व्यस्त दौरा था.

    भारत लौटने के बाद विदेश मंत्री राजनयिकों, राजूदतों और उच्चायुक्तों के एक डेलीगेशन के साथ गुजरात में नवरात्रि महोत्सव में शरीक हुए, इसके बाद फिर 3 से 12 अक्टूबर तक आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की यात्रा पर गए. आपको जानकर हैरानी होगी कि जयशंकर से पहले आखिरी विदेश मंत्री जो न्यूजीलैंड गए थे वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह थे. न्यूजीलैंड से भारत के लिए रिश्ता बनाए रखना इसलिए ज्यादा महत्वूर्ण है क्योंकि वो सह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का प्रमुख सदस्य है. शनिवार को विदेश मंत्री जयशंकर दो दिवसीय द्विपक्षीय यात्रा के लिए अब म्रिस रवाना हो चुके हैं.


    इसके बाद वह पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पेन्ह जाएंगे और वह वहां से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बाली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होंगे. विदेश मंत्री जयशंकर के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खड़ी देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक भारत की एक सोची समझी कूटनीति का हिस्सा है, वो कूटनीति जो भारत की वैश्विक राजनयिक पहुंच को मजबूत करने का काम करेगी. इसे ही 10X3 मॉडल कहा जाता है, इसके तहत अगले 10 सप्ताह, 10 महीने और 10 साल में ऐसे राजनायिक जुड़ाव बनाए जाने हैं जो भारत के राष्ट्रीय हितों को मजबूत करें.

    अब तक देश की सरकारों ने यूरोपीय संघ, जापान और यूएन के स्थायी सदस्य देशों पर ही ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन मोदी सरकार ने अलग रास्ता चुना और ऐसे देशों पर ध्यान केंद्रित किया जो यूएन में स्थायी सदस्य तो नहीं है, लेकिन यूएन में किसी भी मुद्दे पर वोट डालने की ताकत रखते हैं. कैरेबियन, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और सुदूर-प्रशांत क्षेत्र के देशों पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति इसी का हिस्सा है. अगस्त में जब 20 से 28 अगस्त के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ब्राजील, पराग, अर्जेंटीना की यात्रा पर गए थे. उस वक्त लैटिन अमेरिकी देशों के प्रतिनिधियों ने खुलकर पीएम मोदी की नेतृत्व शैली की प्रशंसा की थी, इसके साथ ही बिना किसी लाभ के वैक्सीन की आपूर्ति करने के के लिए पीएम के प्रयास की भी सराहना की थी.

    मोदी सरकार की कूटनीतिक पहुंच का सबसे बड़ा उदाहरण मध्यपूर्व एशिया पर उसकी पकड़ है, इसमें सबसे करीबी सहयेागी संयुक्त अरब अमीरात है, इसके अलावा सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, ओमान और कतर से हमारे अच्छे राजनयिक संबंध हैं. इसके अलावा भारत यूएई के साथ बहुत करीबी जानकारी साझा कर रहा है, जिसने वैश्विक महामारी के दौरान संकट से उबारने में मोदी सरकार की मदद की. सीधे तौर पर ये कहा जा सकता है कि मध्य पूर्व के कुछ शीर्ष वैश्विक नेता विदेश मंत्री जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल के साथ राजनयिक औपचारिकताओं और प्रोटोकॉल को अलग रखकर व्यक्तिगत तौर पर चैट करते हैं.

    अमेरिका, फ्रांस, रूस और यहां तक कि चीन जैसे प्रमुख देश मोदी सरकार से सिर्फ एक फोन कॉल दूर है, वैश्विक महामारी के दौरान भूटान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे सहयोगियों पर विशेष ध्यान देने और चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों के बावजूद दिवालिया हो चुके श्रीलंका की मदद करना भारत सरकार के लिए एक मील का पत्थर है. भारत ने अफगानिस्तान को भी कोविड टीके, भोजन और दवाओं की आपूर्ति की, जबकि तालिबान का कब्जा होने के बाद कई देशों ने अफगानिस्तान को अधर में ही छोड़ दिया था. देश की सैन्य और औद्योगिक क्षेत्रों में मजबूती के साथ भारत 2030 तक तीसरी बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, आने वाले दिनों में राजनयिक पहुंच का प्रभाव और बढ़ेगा और यह और ज्यादा सकारात्मक होगा.

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