भोपाल। प्रदेश की भाजपा सरकार उज्जैन के बाद अब ओंकारेश्वर पर फोकस करेगी। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान फरवरी 2017 में ओंकारेश्वर में तीन संकल्प लिए थे। इनमे से एक संकल्प था मंधाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की मूर्ति (एकात्मता की प्रतिमा) का निर्माण करवाना था। इसका निर्माण 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का जबरदस्त रिस्पांस मिला। इसी तर्ज पर सरकार और सत्ता संगठन के नेता महाकाल कॉरिडोर की भव्यता को जन-जन तक पहुंचाने की मुहिम में जुटे रहे। पार्टी से जुड़े सूत्र कहते हैं कि अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर शिलान्यास के बाद भाजपा को अब यूपी के शिव मॉडल की ताकत का अहसास हो गया है। मध्यप्रदेश में महाकाल कॉरिडोर की भव्यता काशी विश्वनाथ में हुए विकास और निर्माण कार्य से ज्यादा क्षेत्र में विस्तारित है। इसलिए सत्ता और संगठन को यूपी का यह शिव मॉडल ज्यादा रास आ रहा है।
ओंकारेश्वर में लगेगी आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा
उज्जैन के बाद नर्मदा नदी के तट और पहाडिय़ों के मध्य स्थित तीर्थस्थल ओंकारेश्वर जल्द ही विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में पहचाना जाएगा। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा ओंकार पर्वत पर अद्वैतवाद और सनातन धर्म के पुनरुद्धारक आदि गुरु शंकराचार्य की 108 ऊंची अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को वर्ष 2023 में पूर्ण करने का संकल्प प्रदेश सरकार का है। आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा को एकात्मता प्रतिमा (स्टेच्यू आफ वननेस) नाम दिया गया है। प्रदेश के संस्कृति विभाग का कहना है कि प्रतिमा को कमल के फूल के आकार के करीब 27 फीट ऊंचे बेस पर खड़ा किया जाएगा। यह प्रतिमा अष्ट धातु से बनाई जाएगी। प्रतिमा के नीचे का स्थान मेडिटेशन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा, जिसका नाम च्शंकर निधि ध्यानासन केंद्रज् होगा। वर्ष 2018 में अखिल भारतीय एकात्म यात्रा के दौरान 23 हजार ग्रामों से एकत्र धातुओं से प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। प्रतिमा के अलावा ओंकार पर्वत पर शंकर संग्रहालय, ग्रंथालय, सामाजिक विज्ञान और कला केंद्र का निर्माण भी किया जाएगा। यहां अत्याधुनिक लेजर प्रोजेक्टर तकनीक द्वारा प्रकाश, जल और ध्वनि के सम्मिश्रण से ओंकारेश्वर के इतिहास, धार्मिक व पौराणिक महत्व का दृश्यांकन किया जाएगा। इस परियोजना को एकात्म धाम का नाम दिया गया है।
2400 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा एकात्म धाम
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के नर्मदा नदी के पास शिवपुरी द्वीप पर बना है। ओंकारेश्वर परियोजना लगभग 2400 करोड़ रुपये की लागत से पूर्ण होगी। एकात्म धाम का मुख्य द्वार दक्षिणी वास्तुकला द्रविड़ शैली के रूप में निर्मित किया जाएगा, जबकि शेष संरचना नागर शैली के अनुरूप होगी। परियोजना के अंतर्गत प्राचीन भारत के ज्ञान केंद्र तक्षशिला और नालंदा जैसे गुरुकुल की स्थापना भी प्रस्तावित है। यह एकात्म धाम न केवल निमाड़ क्षेत्र अपितु संपूर्ण भारत का गौरव स्थल बनेगा। भारत के गौरवशाली अतीत को अपने में समेटे यह विराट परियोजना महान दार्शनिक और चार मठों के संस्थापक आदिगुरु शंकराचार्य के कृतित्व के स्मारक के रूप में जानी जाएगी। केदारनाथ में जहां आदि शंकराचार्य ने समाधि ली थी, तो वहीं मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में ही उन्होंने संन्यास धारण किया था। भगवान आदि शंकराचार्य को ओंकारेश्वर में उनके गुरु गोविंद भगवत्पाद ने संन्यास की दीक्षा दी थी। ओंकारेश्वर में ही आदि शंकराचार्य, शंकर से शंकर भगवत्पाद कहलाए थे। आदि शंकराचार्य को गुरु गोविंद ने ओंकार में प्रेरित किया कि आप अद्वैत वेदांत दर्शन के माध्यम से पूरे भारत का आध्यात्मिक पुनर्जागरण करें।
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