वाशिंगटन। उल्का पिंड पृथ्वी से टकरा कर जीवन खत्म कर सकते हैं, वैज्ञानिकों को यह चिंता हमेशा रही है। इस खतरे से निपटने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक अंतरिक्ष यान लाखों मील दूर एक हानिरहित क्षुद्रग्रह से टकराया और इस दौरान उसकी कक्षा बदलने में सफल रहा। यह जानकारी एजेंसी ने ‘‘सेव द वर्ल्ड’ परीक्षण के नतीजों की घोषणा करते हुए दी। नासा का कहना है कि अंतरिक्ष यान के टकराव ने पृथ्वी को भविष्य के खतरों से बचाने के लिए किए गए परीक्षण में एक क्षुद्रग्रह की कक्षा को बदल दिया यानी अंतरिक्ष यान ने परीक्षण में क्षुद्रग्रह को सफलतापूर्वक विक्षेपित कर दिया। नासा ने अपने तरह का यह पहला प्रयोग दो सप्ताह पहले किया था।
नासा ने बताया कि उसके द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यान डार्ट ने डिमोर्फोस नामक क्षुद्रग्रह से टकराकर उसमें एक गड्ढा बनाया, जिसकी वजह से उससे मलबा अंतरिक्ष में फैल गया और धूमकेतु की तरह हजारों मील लंबी धूल और मलबे की रेखा बन गई। एजेंसी ने बताया कि यान के असर को आंकने के लिए दूरबीन से कई दिनों तक निगरानी की गई ताकि पता चल सके कि 520 फीट लंबे इस क्षुद्रग्रह के रास्ते में कितना बदलाव हुआ है।
यान के टकराने से पहले यह क्षुद्रग्रह मूल क्षुद्रग्रह का चक्कर लगाने में 11 घंटे 55 मिनट का समय लेता था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उन्होंने इसमें 10 मिनट की कमी की, लेकिन नासा के प्रशासक बिल नेल्सन का मानना है कि यह कमी 32 मिनट की है। गौरतलब है कि वेंडिंग मशीन के आकार के यान को पिछले साल प्रक्षेपित किया गया था और यह करीब 1.10 करोड़ किलोमीटर दूर 22,500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से क्षुद्रग्रह से टकराया।
क्यों पड़ी इस परीक्षण की जरूरत
दोनों उल्काएं वैसे तो पृथ्वी के लिए खतरा नहीं थे। फिर भी परखा जा रहा था कि भविष्य में कोई उल्का अगर सच में पृथ्वी की ओर आई तो क्या हम उसका मार्ग बदल सकते हैं? इसे ‘पृथ्वी की सुरक्षा का परीक्षण’ मिशन कहा गया। वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि टक्कर से उल्काओं का मार्ग बदलेगा। दोनों उल्काओं के पथ पर वैज्ञानिकों की नजर लंबे समय से थी।
2500 करोड़ रुपये का डार्ट, उपग्रह भी साथ
अंतरिक्ष में हजारों किमी में फैले एस्टेरॉयड के टुकड़े
पृथ्वी की तरफ आने वाले उल्कापिंड से पृथ्वी की रक्षा करने के लिए नासा द्वारा पिछले महीने किया गया डार्ट मिशन सफल रहा। इस मिशन के तहत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के एक अंतरिक्ष यान ने परीक्षण के तहत एक क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) को सफलतापूर्वक टक्कर मारी जिसके बाद एस्टेरॉयड चूर-चूर हो गया। इस मिशन की तस्वीरों को जेम्स वेब और हबल स्पेस टेलीस्कोप से ली गई तस्वीरें जारी की गईं। नासा के इस मिशन पर दुनियाभर के अंतरिक्ष विज्ञानियों की नजर थीं।
इस परीक्षण से वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या पृथ्वी की तरफ आने वाले किसी उल्कापिंड को टक्कर मारकर उसकी दिशा बदली जा सकती है, ताकि धरती की रक्षा हो सके। मिशन के दौरान पूरे घटनाक्रम और उसके प्रभाव पर जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और हबल टेलीस्कोप सहित तमाम कैमरों और टेलीस्कोप से यान पर नजर रखी जा रही थी।
पृथ्वी से जुड़ी दूरबीनों द्वारा ली गई छवियों में टक्कर के बाद डिमोर्फोस से बाहर निकलने वाले धूल के एक विशाल बादल को दिखाया गया है। जेम्स वेब और हबल स्पेस टेलीस्कोप से ली गई तस्वीरों को जूम करके देखने पर पता चलता है कि टक्कर के बाद एस्टेरॉयड के टुकड़े अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर से अधिक की दूरी तक फैल गए।
मिशन की सफलता को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया भी सामने आई थी। भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे जीवनकाल में पृथ्वी से किसी क्षुद्रग्रह के टकराने की आशंका बहुत कम है।
बंगलूरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिक क्रिसफिन कार्तिक ने कहा कि ‘हम कई क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं से घिरे हुए हैं जो हमारे सूर्य की परिक्रमा करते हैं। उनमें से बहुत कम पृथ्वी के लिए खतरनाक हैं। फिर भी पृथ्वी के भविष्य की सुरक्षा की तैयारी करना अच्छा कदम है।’
डिमोर्फोस, पृथ्वी से 96 लाख किलोमीटर दूर है। इसका नाम ग्रीक भाषा के शब्द ‘डिडिमोस‘ पर आधारित है। इसका अर्थ जुड़वां होता है। असल में यह 2500 फीट के क्षुद्रग्रह ‘डिडिमोस‘ का हिस्सा है। डिडिमोस की खोज 1996 में की गई थी। डिमोर्फोस करीब 525 फीट लंबा था और यह डिडिमोस से 1.2 किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा कर रहा था।
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