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    टीबी से 7 गुना ज्‍यादा घातक है COPD, हर साल 8 लाख लोगों की हो रही मौत

  • October 11, 2022

    लखनऊ: भारत में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज(COPD) अब टीबी (Tuberculosis) से भी ज्यादा घातक बीमारी बन चुकी है. इस बीमारी से हर साल 8 लाख से ज्यादा लोग दम तोड़ रहे हैं. यह आंकड़ा यूपी टीबी कॉन-2022 की 16वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस में सामने आया है, जो कि लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के शताब्दी फेस 2 में चल रही है.

    इस कॉन्फ्रेंस में देशभर के चेस्ट रोग विशेषज्ञ शामिल हुए. इस दौरान चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन पुणे के निदेशक डॉ. संदीप साल्वी ने बताया कि सिगरेट और बीड़ी की वजह से हमारे देश में ट्यूबरकुलोसिस जैसी बीमारी से भी ज्यादा मौतें क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से हो रही हैं. यह अब गंभीर बीमारी बन चुकी है. इसकी रोकथाम के लिए लगातार रिसर्च चल रही है और काम किया जा रहा है.

    वहीं, यूपी टीबी एसोसिएशन सीनियर वाइस चेयरपर्सन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि टीबी के देशभर में करीब 30 लाख मरीज हैं. जबकि हर साल 5 लाख मरीज दम तोड़ रहे हैं. अभी भी टीबी के छिपे हुए मरीजों को ढूंढने के लिए कई प्रयास किए जाने हैं, ताकि 2025 तक देश टीबी मुक्त हो सके. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पूरी दुनिया में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के 5 करोड़ मरीज हैं. जबकि भारत में आठ लाख से ज्यादा मरीज हर साल दम तोड़ रहे हैं.


    ऐसे में कहा जा सकता है कि सीओपीडी बीमारी ज्यादा तेजी से फैल रही है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने यह भी बताया कि दमा बीमारी पूरे संसार में तेजी से फैल रही है जिसमें 43 फीसदी मरीज भारत में हैं. उन्होंने कहा कि फेफड़ों से जुड़ी हुई बीमारियों पर अभी भी कई रिसर्च बाकी हैं और एजुकेशन में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को बहुत अच्छी तरीके से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि जागरूकता ज्यादा से ज्यादा बढ़े.

    दिल्ली में टीबी मरीज सबसे ज्यादा
    कानपुर के रामा मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर चौधरी ने बताया कि दिल्ली में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज हैं. जबकि दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है, तो सबसे कम मरीज गुजरात में हैं.

    2025 तक यूपी टीबी मुक्त हो जाएगा
    इस कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने आए यूपी डिप्‍टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि टीबी मरीजों को गोद लिया जा रहा है. उन्हें मुफ्त में दवाएं दी जा रही हैं. उन्हें पोषण दिया जा रहा है. साथ ही उन्हें 500 रुपए महीने भी दिए जा रहे हैं.उन्होंने बताया कि 2025 तक उत्तर प्रदेश टीबी मुक्त हो जाएगा. उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधाएं सरकार की ओर से मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही हैं.

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