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    दो इंच तक बढ़ सकती है हाइट

  • October 10, 2022

    • अग्निवीरों की भर्ती में चुके युवाओं के लिए उम्मीद की किरण
    • नई तकनीक से डाक्टर विकसित कर रहे हड्डियां, दिव्यांगों को भी मिलेगी मदद

    इंदौर। एमजीएम कॉलेज में बन रहे बोन बैंक ने जहां शहर के अस्थि रोग से पीडि़तों के लिए उम्मीद की किरण जगाई है, वहीं अब डाक्टर नई तकनीक से कम हाइट या जन्म से ही हड्डियों की समस्या या टेढ़े-मेढ़े पैर लेकर पैदा हो रहे बच्चों की ना केवल हाइट बढ़ा सकेंगे, बल्कि दिव्यांगों को उनके पैरों पर खड़ा भी कर सकेंगे।

    खेलकूद के दौरान खिलाडिय़ों में हो रही इंज्यूरी का न केवल बेहतर इलाज हो सकेगा, बल्कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद टूटी हड्डियां, पैर की लम्बाई बढ़ाने से लेकर टेढ़ी-मेढ़ी हो चुकी हड्डियों को न केवल सीधा किया जा सकेगा, बल्कि जन्म से ही अस्थिबाधित या दिव्यांग का तमगा लेकर जी रहे बच्चों और युवाओं को अपने पैरों पर खड़े होने का दम भी मिलेगा। एलिजारोब तकनीक के माध्यम से शहर के विशेषज्ञ न केवल हड्डियां की हाइट बढ़ा रहे हैं, बल्कि नई हड्डियां विकसित कर रहे हैं।

    एलिजारोब तकनीक के विशेषज्ञ डा. अरविंद वर्मा जांगिड़ ने अब तक कई बच्चों की ना केवल टेढ़े-मेढ़े पैर ठीक कर चुके हैं, वहीं कई दिव्यांगों को खुद के पैरों पर चलने के काबिल बनाया है। डाक्टर वर्मा के अनुसार इस तकनीक के माध्यम से दो इंच तक हाइट बढ़ रही है। कई खिलाडियों को मदद कर चुके डाक्टर ने बताया कि यदि इस तकनीक के माध्यम से इलाज किया जाए तो मरीजों को नई जिंदगी दी जा सकती है।


    एक शहर में बैठकर दूसरे शहर में कर सकेंगे आपरेशन
    शहर में आयोजित हुई तीन दिवसीय एन्वल कान्फ्रेंस आफ एम.पी. चेप्टर आईओए के समापन पर डा. नीरज अदकर ने बताया कि एक छोटा सा चीरा लगाकर हड्डी को बहुत कम काटकर सर्जरी की जा सकती है, जिसमें रोबेट सर्जन्स के लिए बेहतरीन असिसटेन्ट की तरह काम करता है। इसमें इनप्लांट भी बहुत सटीक किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी तकनीक आ रही है, जिसमें एक शहर में बैठकर दूसरे शहर के मरीजों का आपरेशन किया जा सकेगा।

    डाक्टरों को करनी चाहिए फ्री में सर्जरी
    इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएसन एमपी चेप्टर के प्रेसीडेंट डा. प्रमोद नीमा ने डाक्टरों को जिम्मेदारी याद दिलाते हुए कहा कि पुराने समय में वैद्य मरीजों का इलाज करते थे, लेकिन उनसे कोई फीस की अपेक्षा नहीं रखते थे। तनावभरी लाइफ और जिम्मेदारियों व काम के बोझ के कारण डाक्टर अपनी जिम्मेदारी भूल गए हैं। उन्हें मजबूर और आर्थिक रूप से परेशान मरीजों के लिए फ्री में सर्जरी करनी चाहिए। यदि महीने में पांच सर्जरियां भी फ्री में करें तो जरूरतमंदों को भी स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा।

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