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    वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच EAC-PM का दावा, 2022-23 में भारत सात फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगा

  • October 10, 2022

    नई दिल्ली। एक ओर जहां दुनियाभर के अर्थशास्त्री वैश्विक मंदी की संभावनाएं जता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने रविवार को कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आएगा। इतना ही नहीं उन्होंने यह दावा भी किया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा।

    उन्होंने आगे कहा कि इस समय आर्थिक जगत का माहौल ऐसा हो रहा है जब दुनियाभर के तमाम देश कम वृद्धि हासिल करेंगे, इतना ही नहीं कई देश तो मंदी में भी जा सकते हैं ऐसे माहौल का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ओर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने तो यहां तक कहा है कि साल 2000 की शुरुआत में दुनिया में जिस तरह का सकारात्मक माहौल था अगर वैसी स्थितियां दोबारा आती हैं तो भारत नौ प्रतिशत की वृद्धि भी हासिल कर सकता है।

    वैश्विक मंदी की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए सान्याल ने कहा कि पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतें, सख्त मौद्रिक नीति के साथ ही रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण ऐसा माहौल बन रहा है। उन्होंने रुपये की लगातार गिरती कीमतों के बारे में भी प्रतिक्रिया दी। सान्याल ने कहा कि हमें केवल डॉलर और रुपये की विनिमय दर के आधार पर आकलन नहीं करना चाहिए। अन्य मुद्राओं तुलना में डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। ऐसी स्थितियों में डॉलर को छोड़कर अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया वास्तव में मजबूत हो रहा है। शुक्रवार को रुपया 82.33 के ऐतिहासिक निचले स्तर डॉलर प्रति डॉलर पर आ गया था।


    गौरतलब है कि विश्व बैंक ने बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय माहौल का हवाला देते हुए 6 अक्टूबर को 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। ताजा अनुमानों के अनुसार, ये जून, 2022 के अनुमान से एक प्रतिशत कम है।

    विश्व बैंक के अनुमान को लेकर सान्याल ने कहा कि इस माहैौल में भारत का प्रदर्शन दुनिया में सबसे बेहतर रहेगा। मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार ने आपूर्ति को लेकर कई बड़े सुधार किए हैं इन सुधारों के परिणामस्वरूप ही भारत की अर्थव्यवस्था पहले की तुलना में कहीं अधिक लचीली बन पाई है।

    उन्होंने आगे कहा कि अगर भारत को 2002-03 से 2006-07 के दौरान जैसा बाहरी वातावरण मिलता है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी और वैश्विक मुद्रास्फीति का दबाव नहीं था तो इसकी अर्थव्यवस्था 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकती है, लेकिन ये साफ है कि वर्तमान में पहले जैसी स्थितियां नहीं हैं ऐसे में कहा जा सकता है कि 7 प्रतिशत जीडीपी विकास दर एक अच्छा प्रदर्शन है।

    भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में वैश्विक स्तर पर बेहद सख्त मौद्रिक नीतियों का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को 7.2 प्रतिशत के पहले के अनुमान से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया था।

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