इंदौर। सोने की जगह को लेकर हुए विवाद में हत्या के मामले में घटनास्थल पर मौजूद दो अहम मजदूरों के बयान नहीं होने से 8 साल जेल में रहने के बाद भी एक मुलजिम बेदाग छूट गया, जबकि उसका एक साथी अभी तक फरार है।
14 जून 2013 को नवलखा स्थित पटाखे की दुकान के बाहर मुकेश उर्फ बिच्छू की जगह कैलाश सोलंकी निवासी मूसाखेड़ी सो गया था। मुकेश ने उसे उठने को बोला तो विवाद हो गया। इस दौरान मुकेश ने लघुशंका कर दी, जिससे कंबल गीला हो गया और छींटे पास में सो रहे अशोक बंजारा व जितेंद्रसिंह पर भी पड़े। उन्होंने मुकेश को पीटा। बाद में पवनपुरी, पालदा में गोपाल ट्रेडर्स के पास मुकेश को ले जाकर पटक दिया और अशोक, जितेंद्र व कैलाश ने उसकी हत्या कर दी। उसका सिर पत्थर से कुचला हुआ था। अगले दिन पुलिस कंट्रोल रूम को लाश मिलने सूचना मिली तो काफी देर के बाद मृतक की शिनाख्त हो सकी। गिरफ्तारी के बाद अकेले कैलाश के खिलाफ कोर्ट में मामला चला तो पुलिस ने गवाह के तौर पर जिन मजदूरों को पेश किया था, वे कुछ बता नहीं सके। अलबत्ता बयानों से खुलासा हुआ था कि मजदूर कन्हैयालाल व कालू उर्फ सोनू अहम गवाह थे, लेकिन पुलिस ने उनके बयान ही नहीं कराए। ऐसे में साबित नहीं हो सका कि हत्या का मकसद क्या था। जज अभिनवकुमार जैन ने कैलाश को बरी कर दिया। वह 5 अक्टूबर 2014 से जेल में बंद था।
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