नई दिल्ली। कोरोना की मैसेंजर राइबोज न्यूक्लिक एसिड (mRNA) वैक्सीन को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हालिया अध्ययन में सामने आया है कि mRNA से हृदय संबंधी मौत का खतरा ज्यादा बढ़ रहा है। फ्लोरिडा के सर्जन जनरल व स्टेट हेल्थ ऑफिसर डॉ. जोसेफ ए. लाडापो ने बताया, खास तौर पर mRNA वैक्सीन से 18 से 39 साल के पुरुषों में हृदय संबंधी मौत का खतरा ज्यादा है।
डॉ. जोसेफ ने ट्वीट किया, आज हम कोविड-19 mRNA वैक्सीन के विश्लेषण के बारे में बता रहे हैं, जिसके बारे में लोगों को जागरूक होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि mRNA वैक्सीन के विश्लेषण में पाया गया कि टीकाकरण के 28 दिनों के भीतर 18-39 वर्ष के पुरुषों में हृदय संबंधी मृत्यु की घटनाओं में 84% की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस जैसी पहले से मौजूद हृदय संबंधी स्थितियों वाले वाले लोगों को वैक्सीन लगवाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, किसी भी दवा या टीके की सुरक्षा और उसकी प्रभावकारिता का अध्ययन सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण घटक है। mRNA वैक्सीन को लेकर सुरक्षा पर बहुत कम ध्यान दिया गया है और कई लोगों की चिंताओं को खारिज कर दिया गया है।
क्या है एमआरएनए
मैसेंजर आरएनए टेक्नोलॉजी है। इस तरह का आरएनए डीएनए का सीक्वेंस होता है। यह प्रोटीन बनाने के लिए ब्लूप्रिंट है। एमआरएनए वैक्सीन में एमआरएनए स्पाइक प्रोटीन की सीक्वेंस इनफॉर्मेशन ले जाता है। एमआरएनए लिपिड फॉर्म्यूलेशन से कवर होता है। इसी को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। शरीर की कोशिकाओं में यह स्पाइक प्रोटीन बनाता है। स्पाइक प्रोटीन कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है।
भारत में कौन सी mRNA वैक्सीन
भारत में पुणे स्थित जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल कंपनी की mRNA वैक्सीन GEMCOVAC-19 के आपात इस्तेलाम की मंजूरी दी गई है। एमआरएनए वैक्सीन 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को लगाई जा सकती है। खास बात यह है कि वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहती है। इसकी एक वायल में पांच डोज है, जो इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन के जरिये शरीर में लगाई जाती जाएंगी। पहली डोज के 28 दिन के अंतराल के बाद दूसरी डोज लगेगी।
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