उज्जैन। महाकाल मंदिर परिसर स्थित जिस महाकाल लोक की चमक आगामी कुछ दिनों में लोगों को दिखाई देने वाली है, उसमें उन्हीं तरह के पत्थरों का उपयोग किया गया है जो अयोध्या के राम मंदिर में लगाए जा रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार इसी तरह के पत्थरों को देश के कई अन्य प्रमुख मंदिरों में भी लगाया गया है। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार जिन पत्थरों का उपयोग महाकाल लोक में हुआ है वह मजबूत होता है तथा बारिश के पानी से खराब नहीं बल्कि बारिश के पानी से इसकी चमक ओर अधिक बढ़ जाती है।
किन-किन मंदिरों में लगाए गए है इस तरह के पत्थर
इस पत्थर को बंशी पहाड़पुर पत्थर के नाम से जाना जाता है। यह पत्थर राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बंशी पहाड़पुर नामक पहाड़ से निकाला जाता है जिसकी वजह से उसका नाम भी पहाड़ के नाम पर ही रखा गया है। इसी पत्थर का उपयोग राम मंदिर के अलावा दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में भी किया गया है। संसद, दिल्ली का लालकिला और इस्कॉन के ज्यादातर मंदिर भी बनाए जा चुके हैं। इसका उपयोग आगरा के लाल किले के अलावा, भरतपुर के गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, जयपुर की विधानसभा भवन समेत विदेशों में कई विशाल मंदिरों के निर्माण में भी किया जा चुका है। महाकाल लोक बनाने में करीब 10 टन पत्थर लगा है। इस पत्थर का चयन करने के पीछे की वजह है। इसकी मजबूती और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध होना। इस पत्थर की चमक लंबे समय तक बनी रहती है तथा इसकी उम्र करीब पांच हजार सालों तक मानी जाती है। गौरतलब है कि महाकाल लोक का लोकार्पण करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन आ रहे है और लोकार्पण के बाद इस महाकाल लोक को देखने के लिए आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
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