डेस्क: हिंदू धर्म में श्री राम भक्त हनुमान भगवान शिवजी के रूद्रावतार माने जाते हैं. मान्यता है कि हनुमान का जन्म श्रीराम की सहायता के लिए हुआ था. श्री राम के सबसे बड़े बलशाली, ताकतवर और परम भक्त हनुमान का वर्णन रामायण में स्पष्ट है. कहते हैं धरती पर अगर कोई ईश्वर है तो वह केवल श्री राम भक्त हनुमान. राम हनुमान की वीरता और ताकत की अनेकों कथाएं प्रचलित हैं. कथा के अनुसार, भगवान राम और श्री हनुमान में सिर्फ भक्त का ही नहीं, बल्कि भाई का रिश्ता भी रहा है.
श्रीरामचरितमानस के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां, कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं. तीनों ही रानियों से संतान प्राप्ति नहीं हुई थी. इससे आहत राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने के लिए श्रृंगी ऋषि से अनुरोध किया. यज्ञ के समापन के बाद अग्नि देव प्रकट हुए, जिनके हाथों में खीर से भरा हुआ पात्र था. अग्नि देव ने उस खीर से भरे हुए पात्र को राजा दशरथ को देते हुए कहा कि इस खीर को तीनों रानियों को खिला दें. इससे आपको चार पुत्रों की प्राप्ति होगी.
राजा दशरथ ने अग्नि देव के कहे अनुसार रानियों को खीर खिलाना शुरू किया. कौशल्या, सुमित्रा ने खीर को ग्रहण कर लिया परंतु अंत में खीर मिलने पर कैकेयी नाराज हो गईं. तभी भगवान शिव ने एक माया रचते हुए चील वहां भेजी. चील कैकेयी के हाथ से खीर लेकर वहां से उड़ गई और अंजन पर्वत पर अंजनी के पास पहुंची. तपस्या में लीन अंजनी देवी ने उस खीर को भगवान का प्रसाद मान कर ग्रहण कर लिया.
खीर खाने के बाद रानियों की तरह अंजनी भी गर्भवती हो गईं. जहां राजा दशरथ की तीनों रानियों ने श्री राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया. वहीं देवी अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया. मान्यता है कि एक खीर खाने से राम और हनुमान का जन्म हुआ, ऐसे में दोनों के बीच भाई का रिश्ता है.
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