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    इन तीन को मिला फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार, जानिए क्‍या है क्वाटंम इनटैंगलमेंट प्रक्रिया ?

  • October 05, 2022

    स्टॉकहोम। इस बार नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है। जिनमें फ्रांस के फिजिसिस्ट एलेन एसपेक्ट (Alain Aspect), जॉन क्लॉसर (John Clauser) और एंटन ज़ीलिंगर (Anton Zeilinger) शामिल है। उन्हें यह पुरस्कार क्वांटम इन्फॉर्मेशन साइंस और फोटोन्स पर रिसर्च के लिए दिया गया है।

    बता दें कि एलेन आस्पेक्ट फ्रांस से ताल्लुक रखते हैं, जबकि वो पेरिस और स्केले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं तो वहीं जॉन एफ क्लॉसर अमेरिकी रिसर्चर और प्रोफेसर हैं। एंटन जेलिंगर ऑस्ट्रिया की विएना यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और रिसर्चर हैं।

    क्वाटंम इनटैंगलमेंट इतनी जटिल प्रक्रिया है, जिसे समझाना आसान नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों को लगता है कि भविष्य में इसकी मदद से बड़े-बड़े, सुपर-डुपर फास्ट क्वांटम कंप्यूटर बनाए जा सकते हैं। क्वांटम संचार हो सकता है। वह भी अंतरिक्ष में एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक बिना किसी बाधा के। ऊर्जा बढ़ाई जा सकती है. अंतरिक्ष से ऊर्जा ली और लाई जा सकती है। साथ ही 100 जीबी के डेटा कंप्रेस करके एक जीबी के मेमोरी कार्ड में रख सकते हैं।



    क्वाटंम इनटैंगलमेंट का सबसे बड़ा फायदा भविष्य में जो होगा, वो है टेलिपोर्टेशन (Teleportation)। यानी किसी व्यक्ति को किसी एक जगह से दूसरी जगह अणुओं में बदलकर तेजी से पहुंचाना। फिर वहां उसे वापस उसी स्वरूप में खड़ा कर देना. यानी एक सेकेंड में दिल्ली से न्यूयॉर्क आप बिना किसी ट्रेन, प्लेन, जेट, बस के पहुंच जाएंगे।

    क्वाटंम इनटैंगलमेंट (Quantum Entanglement) के सिद्धांत पर सबसे पहले न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण बल की खोज के समय ही ध्यान दिया था लेकिन उसके बाद अलबर्ट आइंस्टीन ने इस पर काम किया. अपना नया सिद्धांत दिया. इसमें उन्होंने बताया कि क्वांटम स्तर पर मौजूद दो या उससे अधिक और एक दूसरे पर निर्भर कणों का बनना, उनका किसी भी प्रक्रिया के लिए एक साथ सहभागी होना ही क्वांटम इनटैंगलमेंट है. लेकिन दोनों को एकदूसरे का पता नहीं होता. दोनों के बारे में स्वतंत्र रूप से नहीं बताया जा सकता. इसे उलझाव इसलिए कहते हैं क्योंकि कणों की गति, स्थिति, घुमाव और ध्रुवीकरण जैसे भौतिक गुणों की माप एक-दूसरे से संबंधित होती है!

    क्वांटम इनटैंगलमेंट बेहद नाजुक स्थिति है. जैसे ही इनके बीच से फोटॉन यानी रोशनी निकलती है, ये खो जाते हैं। इनका उपयोग करने के लिए जरूरी है कि हम यह जान लें कि फोटॉन की जोड़ी का इनटैंगलमेंट होता है या नहीं. इससे यह फायदा होगा कि भविष्य में ऊर्जा और स्टोरेज संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. वह भी आणविक स्तर पर जाकर।

    हम यह जानते हैं कि किसी भी वस्तु को सिर्फ भौतिक रूप से देखकर पकड़कर उसके आकार या आयतन को नाप सकते हैं. लेकिन ये सही नहीं है। क्वांटम इनटैंगलमेंट को लेकर नील्स बोर और आइंस्टीन में विवाद चल रहा था. नील्स बोर कहते थे कि ऐसी कोई चीज होती ही नहीं है. क्योंकि क्वांटम इतने सूक्ष्म हैं कि उनके लेवल पर किसी भी कण की सटीक जगह और स्विंग जैसे गुणों को बिना देखे नाप नहीं सकते। बात सही भी थी कि बिना देखे किसी वस्तु का आयतन कैसे बता सकते हैं लेकिन आइंस्टीन ने कहा नहीं. उन्होंने कहा कि अगर किसी वस्तु को देख नहीं सकते, इसका मतलब ये नहीं कि वो वास्तविक रूप में है ही नहीं. बाद में आइंस्टीन ने बोरिस पोडोल्सकी और नाथन रोसेन के साथ मिलकर क्वांटम इनटैंगलमेंट से जुड़े अपने सिद्धांत को सिद्ध कर दिया!

    क्वाटंम इनटैंगलमेंट (Quantum Entanglement) में अक्सर एक शब्द सुनाई देता है, जिसे स्पूकी एक्शन (Spooky Action) कहते हैं। आइंस्टीन, पोडोलस्की और रोसेन ने अपने सिद्धांत को सिद्ध किया, लेकिन नील्स बोर ने कहा कि समान भौतिक गुणों वाले दो अलग-अलग कण इस अंतरिक्ष में मौजूद हो ही नहीं सकते. भले ही वह प्रयोग के दौरान एक क्षण के लिए अपने गुणों को एक-दूसरे में बदलने या ट्रांसफर करने में सक्षम क्यों न हो. दरअसल, दोनों समान कणों के बीच किसी भी तरह का संबंध बिना सटीक माध्यम के संभव नहीं है। यह थोड़ा भूतिया यानी स्पूकी होता है. इसलिए इसे स्पूकी एक्शन कहते हैं।

    इसका सबसे बड़ा फायदा क्या है?
    क्वाटंम इनटैंगलमेंट को समझना क्यों जरूरी है. दरअसल, भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर बनने वाले हैं। क्वांटम इनटैंगलमेंट के जरिए क्वांटम कंप्यूटर के एन-कोडिंग करने की यूनिट्स यानी क्यूबिट्स को आसानी से प्रोसेस किया जा सकता है।

    भविष्य में क्वांटम इनटैंगलमेंट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हम बहुत बड़े डेटा को बेहद छोटी सी जगह में रख सकते हैं। यानी हम 100 जीबी की फाइल को 1 जीबी वाले मेमोरी कार्ड में कंप्रेस करके रख सकते हैं. संचार आसान होगा. ट्रैवलिंग आसान होगी।

    क्वाटंम इनटैंगलमेंट (Quantum Entanglement) के चलते अणुओं और परमाणुओं की संरचना में काफी ज्यादा डेनसिटी होती है। यह साधारण स्थिति नहीं होती है। इससे किसी वस्तु का मौलिक आकार नहीं बिगड़ता। मगर, कम जगह पर भी होकर उसका अस्तित्व बना रहता है।

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