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    कौन है घाटी में कैसे पनपा यह आतंकी संगठन?

  • October 05, 2022

    नई दिल्ली ।  जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के डीजी हेमंत लोहिया (DG Hemant Lohia) की हत्‍या मामले में फरार चल रहे नौकर यासिर (servant yasir) को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। डीजी जेल हेमंत कुमार लोहिया (Dg Hemant Kumar Lohia) की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी, जिसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली थी। टीआरएफ TRF कोई पुराना आतंकी संगठन नहीं है। ये आतंकी समूह 2019 में वजूद में आया था, हालांकि इसका नाम धारा 370 हटाए जाने के बाद उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब इसने टारगेट किलिंग की कई वारदातों को अंजाम दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि ये टीआरएफ क्या है? ये नया आतंकी संगठन कब बना? आखिर इसका मकसद क्या है? इसके आका कौन हैं? तो यहां हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे।

    TRF की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। धीरे-धीरे यह संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया और इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया।

    वहीं जानकारी यह भी सामने आई कि टीआरएफ के उदय की असल कहानी पाकिस्तान से शुरू होती है। घाटी में बढ़ती आतंकी घटनाओं के साथ-साथ पाकिस्तान का छुपा चेहरा दुनिया के सामने आने लगा था। धीरे-धीरे पाकिस्तान पर अपने यहां पनप रहे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता जा रहा था। पाक समझ चुका था कि उसे अब लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर कुछ कार्रवाई करनी ही होगी, लेकिन उसे यह भी डर था कि इससे कश्मीर में उसकी जमीन खिसक सकती है। ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए तैयबा ने मिलककर नए आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ की नींव रखी।



    खास तौर पर टीआरएफ को फाइनेंसिशयल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की कार्रवाई से बचने के लिए बनाया गया था। दरअसल, FATF ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखा था। इसके साथ ही उस पर कई प्रतिबंध भी लगाने शुरू कर दिए थे, जसके बाद टीआरएफ अस्तित्व में आया। इसका मकसद घाटी में फिर से 1990 वाला दौर वापस लाना है। टीआरएफ का मुख्य उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा मामले में पाकिस्तान पर बढ़ते दबाव को कम करना व पाकिस्तानी में स्थानीय आतंकवाद को बढ़ावा देना है।

    आपने बीते कुछ महीनों में कश्मीर में टारगेट किलिंग के कई मामले देखे होंगे। इनमें से अधिकतर के पीछे TRF का ही हाथ था। टीआरएफ के हैंडलर सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। इसके साथ ही वे सोशल मीडिया पर कश्मीर के अंदर होने वाली हर राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखते हैं। इसके जरिए यह संगठन अपने टारगेट को भी चुनता हैं। बीते दिनों टीआरएफ कई लोगों की हिटलिस्ट भी जारी कर चुका है। कई भाजपा नेता, सैन्य व पुलिस अधिकारी भी इस आतंकी संगठन के टारगेट पर रहते हैं।

    आतंक को बढ़ावा देना ही मकसद
    आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का एक ही मकसद है आतंक फैलाना। टीआरएफ जम्मू कश्मीर घाटी में एक बार फिर से वही दौर लाना चाहता है, जो कभी 90 के दशक में हुआ करता था. यानी आतंक का राज. वो जम्मू कश्मीर के कोने-कोने में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है, किन्‍तु हमेशा उसे भारतीय एजेंसियों और सेना की तरफ से कड़ा जवाब मिलता है. सरहद पार से इस संगठन को जितनी चाहे मदद मिल जाए, लेकिन अब भारतीय सेना और एजेंसियां इसे सिर उठाने नहीं देती हैं।

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