नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने सभी मंत्रियों और सचिवों (All ministers and secretaries) को कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने रविवार को साफ कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) द्वारा साझा किए गए बैकग्राउंड नोट्स (background notes) या अन्य किसी भी बात को नजरअंदाज न करें। सूत्रों ने रविवार को बताया कि पीएम मोदी ने कहा है कि सभी मंत्री और सचिव एनएससीएस और एसएसए के सुझावों को गंभीरता से लें।
शुक्रवार को हुई मंत्रिपरिषद की पांच घंटे की लंबी बैठक के दौरान पीएम मोदी ने ये निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि कोई भी नीति बनाते समय, उसे भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व में ऐसे भी कई उदाहरण मिलते हैं, जब राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सुझावों को उचित महत्व नहीं दिया गया था। उन्होंने दवाओं के निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले आयातित सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) पर निर्भरता के मामले का भी हवाला दिया, जिसके बारे में कई साल पहले एनएससीएस भविष्यवाणी की थी। गौरतलब है कि शुक्रवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में केंद्र सरकार के सभी सचिवों ने भी भाग लिया था।
बैठक के दौरान पीएम मोदी ने यह भी कहा कि नीति निर्माण की प्रक्रिया गतिशील है और इसे बदलते समय के साथ संशोधित करने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने बताया कि जब वे गुजरात के सीएम थे तब एक मंत्रालय से संबंधित कुछ नियम थे जिनका नाम किसी अन्य राज्य के नाम पर रखा गया था और इसे अधिकारियों को बताए जाने के बाद ही इसे बदला गया था। उन्होंने कहा कि नीतियों को बनाने और लागू करने में आत्मसंतुष्ट होने की प्रवृत्ति से बचा जाना चाहिए।
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर डिप्टी एनएसए विक्रम मिश्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के बारे में मंत्रियों को जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि इस दौरान डिप्टी एनएसए विक्रम मिश्री ने दुनिया भर में हो रहे बदलावों, खासकर यूरोप, रूस और अमेरिका में परिवर्तनों का भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चर्चा की।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को हैदराबाद के दौरे पर रहेंगे। यहां वह संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी) का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में भारत बीते कई सालों में इस क्षेत्र में की गई प्रगति को प्रदर्शित करेगा। यूएनडब्ल्यूजीआईसी का आयोजन यहां पांच दिनों तक होगा। इसमें 115 देशों के 550 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस सम्मेलन में एकीकृत भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन और उसकी क्षमताओं के विकास और मजबूती से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में हम भू-स्थानिक ‘चौपाल’ पहल पेश करेंगे। ये पहल जो ग्रामीण समुदायों को भू-स्थानिक सेवाओं से जोड़ने का प्रयास करती है।
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