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27 किलोमीटर लम्बी नगर पूजा, महामाया और महालया देवी को चढ़ेगी मदिरा की धारा

October 02, 2022

उज्जैन। सोमवार को शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) की महाष्टमी पर चौबीसखंबा माता मंदिर (Chaubiskhamba Mata Temple) स्थित देवी महामाया और महालया को कलेक्टर द्वारा मदिरा की धारा (wine stream) चढ़ाई जाएगी। सदियो पुरानी इस परंपरा का निर्वाह करते हुए प्रात: पूजन पश्चात 27 किलोमीटर लम्बी नगर पूजा प्रारंभ होगी, जोकि शाम तक चलेगी। इस दौरान विभिन्न देवी-भैरव एवं हनुमान मंदिरों पर पूजन कार्य सम्पन्न होगा। नगर पूजा का समापन शाम को महाकाल मंदिर पर शिखर ध्वज बदलने के साथ होगा। इस नगर पूजा का आयोजन तहसील स्तर पर राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है। ऐसा केवल उज्जैन में होता है। इसके प्रारंभ होने का काल सम्राट विक्रमादित्य के समय से माना जाता है।

महाष्टमी पर नगर पूजा के पूर्व कलेक्टर द्वारा देवी महामाया और महालया का पूजन होकर देवी को मदिरा का भोग लगाया जाता है। इसके बाद कोटवार,पटवारियों के समुह के साथ नगर पूजा के लिए अमला निकलता है। इस अमले को कलेक्टर रवानगी देते हैं। जो अमला नगर पूजा के लिए निकलता है,उसमें सबसे आगे ढोल,उसके पिछे झण्डा लिए कोटवार रहता है। एक अन्य कोटवार के हाथ में पीतल का लोटा होता है। इस लोटे के पेंदे में एक छेद रहता है। इस छेद का मुंह सूत के धागे से इसप्रकार से बंद किया जाता है कि लोटे में भरी मदिरा बूंद-बूंद धारा के रूप में जमीन पर गिरे। पीछे कुछ कोटवारों के हाथों में टोकने होते हैं, जिनमें बरबाकल (पूरी एवं भजिये) रखे होते हैं। 27 किलोमीटर तक मदिरा की धारा जमीन पर गिरती रहती है और इस दौरान कोटवार बरबाकल को भी डालते जाते हैं। यह मान्यता है कि मदिरा पीने एवं बरबाकल का भक्षण करने के लिए राक्षसगण आते हैं। लोटे में मदिरा कम होने पर उसे सतत भरा जाता है। प्रात: करीब 8 बजे से प्रारंभ सिलसिला शाम करीब 8 बजे तक चलता है।



इन मंदिरों में होगी नगर पूजा

नगर पूजा के दौरान चौबीसखंबा मंदिर पर महामाया और महालया, अद्र्धकाल भैरव कालियादेह दरवाजा, कालिकामाता, नयापुरा स्थित खूंटपाल भैरव, चौसठयोगिनी मंदिर,लाल बई, फूल बई, शतचण्डी देवी, राम-केवट हनुमान, नगरकोट की रानी, नाकेवाली दुर्गा मां, खूंटदेव भैरवनाथ, बिजासन मंदिर, चामुण्डा माता मंदिर, पद्मावती मंदिर, देवासगेट भैरव, इंदौरगेटवाली माता, ठोकरिया भैरव, इच्छामन भैरव, भूखीमाता, सती माता, कोयला मसानी भैरव, गणगौर माता, श्मशान भैरव, सत्ता देव, आशा माता, आज्ञावीर बेताल भैरव, गढ़कालिका, हांण्डीफोड़ भैरव की पूजा प्रमुख रूप से होती है। भैरव एवं हनुमान मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है वहीं देवियों को सुहागिन की श्रृंगार सामग्री, चुनरी अर्पित की जाती है।

यह सामग्री रहती है पूजन की

राजस्व अमला अपने साथ तेल के डिब्बे, सिंदूर, चांदी के वर्क, कुमकुम, मेहंदी, चूडिय़ां, चूंदड़ी, सोलह श्रृंगार के सेट, चमेली के तेल की शिशी, नारियल, चना का बाकल, कोडिय़ां, पूजा की सुपारी, सिंघाड़ा सूखा, लाल नाड़ा, लाल कपड़ा, गोटा किनारी, गुगल, अगरबत्ती, कोरे पान डण्ठलवाले, कपूर, भजिये, पूरी, दही, दूध, शकर, नीबू, काजल डिब्बी, बिंदी, तोरण, लाल कपड़े के झण्डे, जनेऊ, मिट्टी की हाण्डी लेकर चलता है।

 

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