नई दिल्ली: भारत की विदेश नीति पर बेबाक रहने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर गुजरात पहुंचे. यहां पर उन्होंने छात्रों से बातचीत की. चर्चा के दौरान छात्रों ने भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर सवाल पूछे. विदेश मंत्री ने भी अपने अंदाज से छात्रों को जवाब दिए. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑपरेशन गंगा और वंदे भारत के उदाहरण देते हुए पीएम मोदी के नेतृत्व और कूटनीति की प्रशंसा की. जयशंकर ने कहा कि नेता, विचारधारा और विश्वास मायने रखते हैं लेकिन पीएम मोदी जिस सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह राष्ट्रीय सोच का एक बड़ा हिस्सा है. जयशंकर ने कहा कि जिस वक्त चीन ने नापाक हरकत की उस वक्त पूरे देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन था. उस वक्त अपने जवानों को सरहद भेजना आसान नहीं था.
ऑपरेशन गंगा के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि संघर्षग्रस्त यूक्रेन से लगभग 20,000 छात्रों को निकालना कूटनीति का नायाब उदाहरण है. जयशंकर ने कहा कि पूरे सिस्टम के लिए ये परीक्षा थी कि क्या हम 7-8 साल बाद इस तरह के संकट से निपट सकते हैं और इसमें नेतृत्व ने एक प्रमुख भूमिका निभाई. एस जयशंकर ने कहा कि जो लोग पीएम मोदी की कार्यशैली को जानते हैं, वे जानते हैं कि उनकी नजर हर तरफ होती है. उस समय यूपी चुनाव प्रचार चल रहा था. वह दिन में बचाव अभियान की अपडेट लेते थे और शाम को बैक-टू-बैक रैलियां करते थे.
‘लॉकडाउन के समय चैलेंज था सैनिकों को पहुंचाना’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कुछ नेताओं को विश्वास होता है. वे जानते हैं कि अपनी जमीन कैसे खड़ी करनी है. जब चीनी सैनिक एलएसी पर घुसपैठ करने आए उस वक्त देश में कोरोना चरम पर था. कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा था. हमने लॉकडाउन के बीच हजारों सैनिकों को वहां एलएसी तक पहुंचाया जबकि लॉकडाउन के दौरान लोगों को ले जाना कितना मुश्किल था, लेकिन एक प्रधानमंत्री ने ये कर दिखाया.
यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालना
विदेश मंत्री ने कहा कि कूटनीति एक ऐसी चीज है जहां आपने सुना होगा कि व्यक्तिगत संबंध महत्वपूर्ण हैं. जब आप दूसरे व्यक्ति से बात करते हैं, तो दूसरा व्यक्ति आपको जानता है, आपका चेहरा और आवाज जानता है. फिर उसके लिए ‘नहीं’ कहना मुश्किल हो जाता है. जब हमारे छात्रों को बाहर निकाला जा रहा था तो पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों से संघर्ष विराम का अनुरोध किया था.
भारत झुकेगा नहीं- एस जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि तेल के मुद्दे पर भारत पर भारी दबाव था लेकिन भारत किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा के नियम से आगे बढ़ा. रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण पेट्रोल की कीमतें दोगुनी हो गईं थीं. हमारे पास तेल कहां से खरीदा जाए इसका दबाव था लेकिन पीएम मोदी और सरकार का विचार था कि हमें वही करना है जो हमारे देश के लिए सबसे अच्छा है और अगर दबाव आता है तो हमें इसका सामना करना चाहिए. अमेरिका ने इस मसले पर अपना विरोध दर्ज कराया था. तब भारत के विदेश मंत्री ने साफ-साफ कहा था कि हम वही करेंगे तो हमारे देशहित में होगा.
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