वाशिंगटन । राष्ट्रपति के एक आयोग ने अमेरिका में एच-1बी वीजा (H1B Visa) पर मुहर लगाने की सिफारिश सर्वसम्मति से पारित कर दी है। यह सिफारिशें एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीप वासियों पर लागू होंगे। जो बाइडन (Joe Biden) की मंजूरी मिलते ही भारतीयों समेत हजारों पेशेवरों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
एच-1बी एक गैर-अप्रवासी वीजा है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को खास विशेषज्ञता वाले पेशेवरों में विदेशी कामगारों की भर्ती करने की अनुमति मिलती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को भर्ती करने के लिए इस पर निर्भर रहती हैं।
मौजूदा प्रक्रिया के तहत किसी भी शख्स को अमेरिकी कंपनी में नौकरी के लिए अपने देश में अमेरिकी वाणिज्यदूत या दूतावास में वीजा आवेदन की जरूरत होती है। मौजूदा फैसला हवाई मूल के लोगों तथा एशियाई-अमेरिकी व प्रशांत द्वीप वासियों को लेकर व्हाइट हाउस की बैठक में राष्ट्रपति के सलाहकार आयोग ने लिया।
दूर होगी अनिश्चितता
एच-1बी वीजा पाने या उसके नवीनीकरण की प्रतीक्षा वाले बड़ी संख्या में लोग अनिश्चितता में घिरे हैं। दरअसल, भारत जैसे देशों में उनके वीजा की अर्जियां लंबित हैं और वहां मौजूदा समय में प्रतीक्षा का समय एक साल से अधिक है। ऐसे में नए फैसले के लागू होने पर भारतीयों को काफी लाभ मिलेगा। भारत में अभी वीजा मिलने की प्रतीक्षा अवधि 844 दिन की है। इसलिए उनके वीजा पर मुहर न लग पाने के कारण वे फंस जाते हैं।
वीजाधारकों की मजबूरी बताई
आयोग के सदस्य और भारतवंशी जैन भुटोरिया ने एच-1बी वीजा पर मुहर की सिफारिश की थी। उन्होंने बैठक में आयोग सदस्यों से कहा, हमारी आव्रजन प्रक्रिया के अनुसार एच-1बी वीजा धारकों को अमेरिका में रहने और हमारी अर्थव्यवस्था, नवोन्मेष तथा आर्थिक विकास में योगदान देने का मौका दिया जाता है।
उन्होंने जोर देकर कहा, कई बार एच-1बी वीजा धारकों को अपने परिवारों से अलग होने के लिए विवश होना पड़ता है। वे उनके अभिभावकों के गंभीर हालत में होने पर भी स्वदेश नहीं जा पाते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं उनके देश में वीजा अर्जी अटकी न रह जाए।
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