वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) (United Nations Security Council (UNSC)) में अमेरिका (America) और अल्बानिया (Albania) द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें रूस के अवैध जनमत संग्रह (Russia’s illegal referendum) यूक्रेन (Ukraine) के इलाकों पर रूसी कब्जे की निंदा की गई। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस अपने सैनिकों को यूक्रेन से तुरंत वापस बुला ले। इसके लिए यूएनएससी में वोटिंग भी हुई, लेकिन भारत ने इससे दूरी बना ली। भारत के साथ-साथ चीन ने भी वोटिंग से दूरी बनाकर एक हद तक रूस का साथ दिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देशों को इस प्रस्ताव पर मतदान करना था, लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर दिया। इस कारण प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इस प्रस्ताव के समर्थन में 10 देशों ने मतदान किया और चार देश मतदान में शामिल नहीं हुए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस (United Nations Secretary-General Antonio Guterres) ने गुरुवार को कहा कि धमकी या बल प्रयोग से किसी देश द्वारा किसी अन्य देश के क्षेत्र पर कब्जा करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और अल्बानिया द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर यूएनएससी में भारत का पक्ष रखते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने शांति, कूटनीति और संवाद की बात कही। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है। बाद में उन्होंने कहा कि “स्थिति की समग्रता” को देखते हुए भारत वोटिंग से दूर रहा।
आपको बता दें कि दस देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। भारत के साथ, चीन, ब्राजील और गैबॉन ने वोटिंग में भाग नहीं लिया। रूस ने परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया। अमेरिका पहले कह चुका है कि वह इस मामले को महासभा में ले जाएगा।
इससे पहले शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने औपचारिक रूप से यूक्रेन के चार क्षेत्रों को रूसी संघ में विलय की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि कीव के अधिकारी और पश्चिम में बैठे उनके असली मालिक मेरी बात सुनें। लुहांस्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया में रहने वाले लोग हमेशा के लिए हमारे नागरिक बन रहे हैं।” आपको बता दें कि भारत ने अभी तक यूक्रेन में संघर्ष को रूसी आक्रमण नहीं कहा है।
काम्बोज ने कहा, ”हमने हमेशा इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा सभी प्रयास किए जाएं। संवाद ही मतभेदों और संवादों को सुलझाने का एकमात्र उत्तर है, चाहे वह कितना ही कठिन क्यों न हो, जो इस समय प्रकट हो सकता है।”
उन्होंने कहा, ”भारत के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से रूसी संघ और यूक्रेन के राष्ट्रपति सहित विश्व के नेताओं को यह अवगत कराया है। हमारे विदेश मंत्री ने पिछले सप्ताह यूएनजीए में अपने हालिया कार्यक्रमों में भाग लिया। भारत के प्रधानमंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया है कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता।” काम्बोज समरकंद में पुतिन के साथ मुलााकात में पीएम मोदी की टिप्पणी का हवाला दे रहीं थी। मोदी के बयान के लिए पश्चिमी देशों ने जमकर तारीफ की थी।
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