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    जबलपुर: वकील की खुदकुशी पर भड़के साथी, हाईकोर्ट में शव रखकर की तोड़फोड़

  • September 30, 2022

    जबलपुर। जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के एक वकील की खुदकुशी पर जमकर हंगामा हो गया। वकील की खुदकुशी पर भड़के वकीलों ने शव रखकर प्रदर्शन (performance) किया। वे साथी वकील की आत्महत्या (suicide) से नाराज हैं। बताया जा रहा है कि जबलपुर हाईकोर्ट एक वकील अमित साहू ने जमानत में जज द्वारा विपरीत टिप्पणी किए जाने के बाद आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद साथी वकील शव लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए। जज नहीं मिले तो चीफ जस्टिस (chief Justice) कोर्ट में उन्होंने हंगामा कर दिया। बड़ी संख्या में वकील मौजूद हैं।

    जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान वकील अमित साहू पर जस्टिस संजय द्विवेदी ने विपरीत टिप्पणी कर दी थी। इससे अमित इतने आहत हुए कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। नाराज वकीलों ने चीफ जस्टिस की कोर्ट में तोड़फोड़ कर दी। सुरक्षा अधिकारी से हाथापाई भी की। वकील धरने पर बैठ गए हैं। एसटीएफ ने की हाईकोर्ट में मोर्चा संभाल लिया है।


    अधिवक्ता द्वारा आत्महत्या किए जाने से आक्रोशित अधिवक्ता साथियों ने हाईकोर्ट परिसर में शव रखकर प्रदर्शन किया। साथी अधिवक्ता के आत्महत्या किए जाने विरोध में एक अधिवक्ता द्वारा अपनी हाथ की नस काटने की अपुष्ट खबर भी मिली है। आक्रोशित अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में आगजनी भी की है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस अधीक्षक सिध्दार्थ बहुगुणा सहित अन्य पुलिस अधिकारी सहित भारी बल ने मोर्चा संभाल लिया है। दमकल विभाग की गाड़ियों ने घटनास्थल में पहुंचकर आग पर काबू प्राप्त किया। समाचार लिखे जाने तक अधिवक्ताओं का विरोध प्रदर्शन जारी था और पुलिस ने हाईकोर्ट के सभी प्रवेश गेट बंद कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार आत्महत्या करने के पूर्व अधिवक्ता ने सुसाइड नोट भी लिखा है।

    आक्रोशित वकील घटना की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। बताया गया कि वकीलों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज भी किया है। घटनास्थल पर एसपी, कलेक्टर एवं बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद हैं। पुलिस और वकीलों में भी झगड़ा हुआ है और कई पुलिसकर्मियों को चोट आई हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार नहीं बल्कि कई बार हाईकोर्ट और निचली अदालतों के जजों को अनावश्यक टिप्पणियों से बचने की नसीहत दी है। पिछले साल कोरोना से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव, एस. रवींद्र भट की बेंच ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के जजों को सुनवाई के दौरान अनावश्यक और बिना सोचे-समझे टिप्पणी करने से बचना चाहिए। क्योंकि वे जो कहते हैं, उनके काफी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जजों को अपनी बात सोच-विचार करके ही कहनी चाहिए। जब हम उच्च न्यायालय के किसी फैसले की आलोचना कर रहे होते हैं, तब भी हम हमारे दिल में क्या है, यह नहीं कहते। संयम बरतते हैं। हम उम्मीद करेंगे कि इन मुद्दों से निपटने के लिए उच्च न्यायालयों को स्वतंत्रता दी गई है। दरअसल, कोरोना मामले में सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग सबसे अधिक जिम्मेदार है। उसके अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए। इसी तरह से दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों पर सख्त टिप्पणियां की थीं।

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