नई दिल्ली: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के टेरर फंडिंग जुटाने और उसके साथ लिंक होने के पुख्ता सबूत मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की ओर से कड़ी कार्रवाई करते हुए मंगलवार को गजट नोटिफिकेशन जारी कर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. वहीं अब उस पर शिंकजा कसते हुए गृह मंत्रालय की शिकायत के बाद पीएफआई के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल अकाउंट @PFIOfficial को फिलहाल बंद कर उस पर रोक लगा दी गई है. गृह मंत्रालय की शिकायत के बाद ट्विटर इंडिया ने PFI के अकाउंट पर एक्शन लिया है. बताते चलें कि पीएफआई समेत उससे जुडे़ कुल आठ संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है. गृह मंत्रालय ने पीएफआई (Popular Front of India) पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act) के कड़े प्रावधानों के तहत प्रतिबंध लगाया है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार को इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों से ‘‘संबंध’’ रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया. राजपत्रित अधिसूचना के अनुसार पीएफआई के आठ सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम भी यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किए गए संगठनों की सूची में शामिल हैं.
कई दिनों से चल रही थी छापेमारी
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और विभिन्न राज्य पुलिस बलों ने हाल के दिनों में देशभर में दो बार पीएफआई के खिलाफ बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी. देश में आतंकी गतिविधियों को कथित रूप से समर्थन देने के आरोप में 22 सितंबर को 15 राज्यों में पीएफआई के कुल 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. 27 सितंबर को सात राज्यों में छापेमारी करके पीएफआई से कथित तौर पर जुड़े 170 से अधिक लोगों हिरासत में लिया या गिरफ्तार किया गया था.
प्रतिबंध के बाद, अधिकारियों ने उन 17 राज्यों में पीएफआई के कार्यालयों को सील करने और उनके बैंक खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, जहां संगठन काम कर रहा था. केंद्र 30 दिनों के भीतर एक न्यायाधिकरण भी स्थापित करेगा जो यह तय करेगा कि पीएफआई को “गैरकानूनी संगठन” घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं. पीएफआई प्रतिबंध के खिलाफ अपना बचाव भी कर सकता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए था ‘गंभीर खतरा’ घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार यह संगठन देश के सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को ‘नुकसान पहुंचाने’ में संलिप्त था. साथ ही अपनी कट्टरपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाकर व भारत में “इस्लामी प्रभुत्व” कायम करने का आह्वान करके राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ‘गंभीर खतरा’ पैदा कर रहा था. साल 2006 में गठित यह संगठन 2010 से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था, जब केरल में एक प्रोफेसर के हाथ काटने की घटना हुई थी. इस मामले में दोषी ठहराए गए कई आरोपी संगठन के सदस्य थे. भाजपा के नेताओं एवं केंद्रीय मंत्रियों ने इस फैसले की सराहना की.
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