नई दिल्ली/भोपाल। देश भर में छापों के बाद सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद भारत सरकार ने आज पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई)सहयोगी संगठनों के साथ प्रतिबंधित कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों को देश के प्रमुख राजनीतिक दलों में पीएफआई के घुसपैठ के सबूत मिले हैं। इनपुट मिलने के बाद राजनीतिक दल भी पीएफआई को लेकर अलर्ट हो गए हैं। निकट भविष्य में राजनीतिक दलों की बैठकों में इस पर मंथन होगा और संगठन में संदिग्धों की निगरानी होगी।
एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के अनुसार राजनीतिक दलों को भी सावधान किया गया है। ऐसे सबूत मिले हैं कि प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े लोगों ने नेताओं से निकटता बनाई है। सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यक्रमों में नेताओं के साथ तस्वीरों के जरिए भी दलों में घुसपैठ बढ़ाई है। इनपुट के बाद से राजनीतिक दलों में बैचेनी बढ़ी हुई है। दो महीने पहले राजस्थान में टेलर के हत्यारों के भी प्रतिबंधित संगठनों से लिंक सामने आया था। साथ ही आरोपियों के राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ के फोटो भी वायरल हुए थे। सूत्रों ने बताया कि प्रतिबंधित संगठनों द्वारा राजनीतिक दलों में की गई घुसपैठ को लेकर भी उच्च स्तर पर चर्चा हो चुकी है। सभी दलों को अलर्ट भी किया गया जा चुका है।
दलों की कार्यप्रणाली में दिखेगा असर
अभी तक यह सार्वजनिक नहीं हुआ है कि प्रतिबंधित संगठनों ने किस दल में घुसपैठ की है। हालंाकि एहतिहात के दौर पर दलों ने सावधानी बरतना शुरू कर दिया है। मप्र में दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के अलावा सपा, बसपा एवं अन्य छोटे दलों में भी संदिग्धों पर नजर रखी जाएगी। सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के आधार पर संदिग्धों को गुपचुप तौर पर बाहर कर दिया जाएगा। छोटे दलों में ज्यादा घुसपैठ की संभावना जताई जा रही है।
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