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    गहलोत के गेम से गुजरात में बढ़ी कांग्रेस की मुश्किल! कहीं और लम्बा न हो जाए 27 साल का इंतजार?

  • September 28, 2022

    नई दिल्ली। राजस्थान (Rajasthan) में चल रहे सियासी घटनाक्रम (political events) से गुजरात (Gujarat) में कांग्रेस की मुश्किलें (Congress’s troubles) बढ़ सकती हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री पद (chief minister post) को लेकर खींचतान जल्द खत्म नहीं होती है तो पार्टी को गुजरात में अपनी रणनीति को नए सिरे से तैयार करना पड़ सकता है, क्योंकि चुनावी रणनीति का पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) संभाल रहे हैं। प्रदेश में नियुक्त ज्यादातर पर्यवेक्षक भी गहलोत के भरोसेमंद है।

    गुजरात कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, कि चुनाव की पूरी रणनीति अशोक गहलोत पर निर्भर है। गुजरात प्रभारी रघु शर्मा भी गहलोत के भरोसेमंद हैं। साथ ही गुजरात में राजस्थान सरकार के 13 मंत्री और दस विधायक पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। खुद गहलोत गुजरात विधानसभा चुनाव में मुख्य पर्यवेक्षक हैं।


    कम समय में अमल मुश्किल आम आदमी पार्टी भी विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक रही है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह गृह प्रदेश होने की वजह से लगातार प्रचार में जुटे हुए हैं। ऐसे में राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का संकट और बढ़ता है तो गुजरात में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि समय कम होने की वजह से नई रणनीति पर अमल मुश्किल है।

    गुजरात में कांग्रेस 27 साल से सत्ता से बाहर वर्ष 1995 के बाद से गुजरात में कांग्रेस सत्ता से बाहर है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 77 सीट हासिल की थी। वर्ष 1995 के चुनाव के बाद यह कांग्रेस का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। हालांकि, वह अपने विधायकों को साथ रखने में विफल साबित हुई।

    वर्ष 2017 से 2022 के बीच कांग्रेस के विधायकों की संख्या 77 से घटकर 63 रह गई। इसके अलावा पार्टी ने जिस युवाओं की तिगड़ी की बुनियाद पर यह प्रदर्शन किया था, उसमें से दो युवा अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

    क्या कांग्रेस अब भी राष्ट्रीय विचारधारा वाली पार्टी है?
    इंडियन नेशनल कांग्रेस का गठन 1885 में हुआ था। आजादी के बाद देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और वर्षों तक देश पर शासन किया। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस आज भी उसी स्थिति में है। पार्टी नेताओं का मानना है कि पार्टी उसी स्थिति में है। राहुल गांधी ने 22 सितंबर को कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष का पद सिर्फ एक संगठन का पद नहीं है, ये विचारधारा का पद है जो विश्वास और देश के विजन को दर्शाता है।

    अध्यक्ष पद के लिए गहलोत का नाम आने के बाद जो हालात बने हैं उससे पता चलता है कि पार्टी की स्थिति बहुत अलग है। एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत के तहत गहलोत को सीएम पद छोड़ना होगा। पर अपने नेताओं के बलबूते गहलोत सचिन पायलट को सीएम नहीं बनना देना चाहते। स्पष्ट है कि गहलोत पार्टी अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने की बजाए राजस्थान की राजनीति में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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