भोपाल। मध्यप्रदेश में पीएफआई मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसियों के हाथ पीएफआई के नेटवर्क को लेकर कई जानकारी लगी हैं। सूत्रों ने बताया कि कोटा के बाद प्रदेश के श्योपुर को पीएफआई अपना दूसरा बड़ा ट्रेनिंग सेंटर बनाने जा रहा था। इसकी तैयारी भी की जा रही थी। और इनका मकसद प्रदेश को अपना गढ़ बनाने का था। मध्यप्रदेश में कूनो में चीतों के आने के बाद श्योपुर जिला चर्चा में है। लेकिन अगर सुरक्षा एजेंसिया सतर्क नहीं होतीं तो ये जिला एक गलत काम के लिए चर्चा में आ जाता। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया मध्य प्रदेश के श्योपुर को अपना ट्रेनिंग सेंटर बनाने की फिराक में था। यहां युवाओं को देशद्रोही और समाज में विध्वंस फैलाने की ट्रेनिंग दी जाती।
श्योपुर को सेंटर बना रहा था पीएफआई
एमपी एटीएस ने एनआईए के साथ मिलकर प्रदेश के उज्जैन और इंदौर से पीएफआई के चार लीडर्स को गिरफ्तार किया है। लीडर्स प्रदेश में देश विरोधी गतिविधियां चलाने के साथ देश के खिलाफ युवाओं को बरगला रहे थे। चारों आरोपी 30 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर हैं। रिमांड के दौरान पूछताछ में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों ने बताया पीएफआई ने जांच एजेंसी की रडार से बचने के लिए श्योपुर को चुना था। इस जिले में राजस्थान के कोटा के बाद पीएफआई अपना दूसरा बड़ा ट्रेनिंग सेंटर तैयार करने वाला था। श्योपुर में कोई दूसरे आतंकी संगठन का अड्डा नहीं था। इससे जांच एजेंसियों को पीएफआई पर शक नहीं होता। साथ ही सिमी नेटवर्क का इस्तेमाल कर पीएफआई खुद को मजबूत कर रहा था। एमपी के श्योपुर से राजस्थान के कोटा की दूरी भी कम है।
एमपी को अपना घर बनाने की साजिश
सूत्रों ने बताया पीएफआई श्योपुर को अपना गढ़ बनाना चाहता था। यहां से वो देश भर में अपना नेटवर्क मजबूत कर साजिश को अंजाम देने की फिराक में था। नए सदस्यों को यहां पर ट्रेनिंग दी जाती। प्लानिंग ये थी कि वो दूसरे आतंकी संगठनों की स्लीपर सेल को अपने से जोड़कर राजनीतिक दखल के लिए सदस्यों को चुनाव मैदान में उतारता। ऐसे कई प्लान थे जिन्हें पूरा करने के लिए वो पूरे प्रदेश में सक्रिय सदस्य बना रहा था। हालांकि वो अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाया। लगातार नये खुलासे होने के बाद जांच एजेंसियां पहले से ज्यादा सतर्क हो गयी हैं।
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